वैज्ञानिकों में मतभेद है कि स्वप्नावस्था में दृश्य तरंग मस्तिष्क के किस अंग से आरम्भ होती है-दृष्टि क्षेत्र से अथवा स्मृति से किन्तु उनकी मान्यता है कि यह आँख से होकर मस्तिष्क में न जाकर मस्तिष्क में ही उठाती है.
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दोतरफा कालिक दृष्टि क्षेत्र विकार-(द्विकालिक अर्धदृष्टि-दृष्टि व्यत्यासिका के संपीड़न के कारण), अक्सर अंतःस्रावी दुष्क्रिया के साथ होने वाला-पीयूषिका अल्पक्रियता या पीयूष हारमोनों का अधिक उत्पादन और रक्त में प्रोलैक्टिन की अधिकता पीयूषग्रंथि अर्बुद की ओर इंगित करता है.
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इस पाठ में एक शल्यक्रिया “काउचिंग” का वर्णन है, जिसमें एक मुड़ी हुई सूई का उपयोग लेन्स को दृष्टि क्षेत्र से बाहर, आंख के पिछले भाग में धकेलने के लिए किया जाता था इसके बाद आँख में शुद्ध गर्म घी लगाकर पट्सेटी कर दी जाती थी.
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इस पाठ में एक शल्यक्रिया “काउचिंग” का वर्णन है, जिसमें एक मुड़ी हुई सूई का उपयोग लेन्स को दृष्टि क्षेत्र से बाहर, आंख के पिछले भाग में धकेलने के लिए किया जाता था इसके बाद आँख में शुद्ध गर्म घी लगाकर पट्सेटी कर दी जाती थी.
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एक आंख में धुंधली दृष्टि का होना, फ्लोटर्स का बनना (दृष्टि क्षेत्र में छोटे “ अस्थायी ” स्पॉट), आंख की पुतली (आईरिस) के रंग का बदलना या इस पर काला धब्बा पड़ना तथा आंख का लाल होना या दर्द होना, या फिर दोनों इसके लक्षणों में शामिल हैं।
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कम आवर्धन होने पर दृष्टि क्षेत्र बढ़ जाता है जिससे गहरे आकाशीय वस्तुओं, जैसे आकाश गंगा, निहारिकायें, तथा तारा समूहों को देखना आसन हो जाता है, हालांकि बड़े एक्ज़िट प्यूपिल (साधारणतया 7 मिमी) से प्राप्त प्रकाश को उम्रदराज़ अन्वेषक पूरी तरह से नहीं देख पाते हैं क्योंकि 50 वर्ष से अधिक उम्र वालों की आखें विरले ही 5 मिमी से ज्यादा फैलती हैं.
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कम आवर्धन होने पर दृष्टि क्षेत्र बढ़ जाता है जिससे गहरे आकाशीय वस्तुओं, जैसे आकाश गंगा, निहारिकायें, तथा तारा समूहों को देखना आसन हो जाता है, हालांकि बड़े एक्ज़िट प्यूपिल (साधारणतया 7 मिमी) से प्राप्त प्रकाश को उम्रदराज़ अन्वेषक पूरी तरह से नहीं देख पाते हैं क्योंकि 50 वर्ष से अधिक उम्र वालों की आखें विरले ही 5 मिमी से ज्यादा फैलती हैं.