दृष्टि भ्रम फिर वोही बात यू पी में अन्ना काहे के क्लीन....? कर दिखाया......? अलग बात....? आकस्मित ज्ञान लाइफ टाइम वेलिडिटी मंथन बिना ड्राइवर की ट्रेन? कुतरो समिति सी डी की दुकान सफेदी की चम्कार खिलाडी बोलती डिग्गी
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कह नहीं सकता ये सब क्यों सूझ रहा है शायद माहौल का असर हो! अनूप जी के पुरस्कार वितरण पर आपकी प्रतिक्रियायें देखीं! उस दृष्टि भ्रम से उबर नहीं पा रहा हूं! लगता है जैसे यह कविता पुरुस्कारों के विरुद्ध है!
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चार अवसरों पर किये गए जैवरासायनिक परीक्षण ने इस चर्चा को बढ़ावा दिया कि क्या उनकी शैली वास्तव में अवैध है या कोहनी को सीधा किये बिना ' दूसरा' फेंकने के लिए कंधे और कलाई दोनों से अतिरिक्त हरकत पैदा करने की उनकी कथित अद्वितीय क्षमता से असल में बना एक दृष्टि भ्रम है.
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हमारा दृष्टि भ्रम भी अब योग से चला गया है, अब हमें हमारे धन को लेकर भागने वाले तस्करों (डॉ. सुब्रमण्यमस्वामी के लेख पढ़ें-समझ जगाए कि मैं इन्हैं तस्करों कि उपाधि से क्यों सम्मानित कर रहा हूँ) ने हमारी सम्पति को स्विस बैंक्स के किन अज्ञात खातों में छिपा रखा है.
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वेताल ने कहा राजन आज आपके चेहरे पर गंभीरता की जगह हंसी कहीं ऐसा तो नहीं शहर के लोगों की तरह मैं भी दृष्टि भ्रम का शिकार हो गया हूँ? चलो आपके थकान हरने के लिये एक सत्य कथा सुनाता हूँ एक महानगर में रमेश ने अपने मित्र आशा राम से पूछा क्या हालचाल हैं मित्रवर?
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लेकिन इक दिन, वो भी आता है, अफसर न अफसर कहलाता है, पद न उसका रह जाता है, आम नागरिक बन तब, उसको है समझ आता, रहने को केवल धरती है, उड़ते थे जिस आकाश में, नहीं उसका कोई भी अस्तित्व, उसका वो नीला रंग, है मात्र एक दृष्टि भ्रम!!
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किन्तु वर्तमान कलियुग होने के कारण हमें उस काल का, अर्थात सृष्टि के आरम्भ का, दिशी दिख रहा है, किन्तु अज्ञानता वश हम असत्य को सत्य समझ रहे हैं, अर्थात माया, अथवा योगमाया, के कारण बहिर्मुख होने के कारण दृष्टि भ्रम में उलझ के रह गए प्रतीत होते हैं, यद्यपि मानव शरीर परमात्मा का ही प्रतिरूप है:) इत्यादि, इत्यादि...
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एक सफहा मेरी डायरी का, कुछ नाराज़ है मुझसे, वो मेरी एक नज़्म छुपाये बैठा है, जैसे जादुई स्याही से राज़ छुपाये जाते हैं!!!!! हर तरकीब आज़मा ली उसे मनाने की, और अपनी नज़्म वापस हथियाने की, पर सारी कोशिशें बेकार हुईं, जैसे तूफानों में नशेमन बिखर जाते हैं!!!! शायद नज़रों का धोखा है, या फिर कोई छलावा, मैं कोरे कागज़ को ही नज़्म समझे बैठा हूँ, जैसे सहराओं में सराब * नज़र आ जाते हैं!!!! * सराब-> दृष्टि भ्रम