यहाँ तक कि देववाद ही नहीं, ईश्वरवाद तक का खण्डन करने, अपने को शून्यवादी तक घोषित करना पड़ा ।
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भाजपा में नीचे यानी कार्यकर्ता स्तर पर देखने पर पता चलता है कि वहां अब भी देववाद और आदर्शवाद मजबूती से बना हुआ है।
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भाजपा में नीचे यानी कार्यकर्ता स्तर पर देखने पर पता चलता है कि वहां अब भी देववाद और आदर्शवाद मजबूती से बना हुआ है।
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भाजपा में नीचे यानी कार्यकर्ता स्तर पर देखने पर पता चलता है कि वहां अब भी देववाद और आदर्शवाद मजबूती से बना हुआ है।
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इन देवताओं के अतिरिक्त यूनानी देववाद के अपोलो आदि कुछ देवता गुण, आयुध और स्वरूप के साथ ही साथ यूनानी नामों के साथ ही विख्यात हुए।
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फिर क्या बात है? वास्तविकता क्या है? देववाद का रहस्य समझिए मित्रो! वास्तविकता वह है जो देववाद के पीछे रहस्य छिपा हुआ है।
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फिर क्या बात है? वास्तविकता क्या है? देववाद का रहस्य समझिए मित्रो! वास्तविकता वह है जो देववाद के पीछे रहस्य छिपा हुआ है।
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कुछ वेदविशारदों ने अनेक देववाद का प्रतिपादन करके ऋग्वेद को अनेकदेववादी बना दिया है और कुछ लोग ऋग्वेद में उपलब्ध अनेक सर्वोत्कृष्ट देवताओं की कल्पना करते हैं।
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किन्तु जब हम ऋग्वेद के सबसे पीछे के मन्त्रों (दशम मंडल) तक पहुँचते हैं, तो वहाँ बहुदेववाद से एक देववाद की ओर प्रगति देखते हैं.
40.
इस प्रकार यद्यपि मूलरूप में वैदिक देववाद एकेश्वरवाद पर आधारित है, किंतु बाद को विशेष गुणवाचक संज्ञाओं द्वारा इनका इस रूप में विभेदीकरण हो गया कि उन्होंने धीरे धीरे स्वतंत्र चारित्रिक स्वरूप ग्रहण कर लिया।