| 31. | त दैव रूपं रम णीय ताह.....
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| 32. | दैव देता है और कर्म ले जाता है...
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| 33. | अधि-भूत, दैव व यज्ञ-युत, जो विज्ञ मुझको जानते..
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| 34. | दैव मेरे भाग्य में क्या है बढ़ा।
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| 35. | दैव योग से वही संत उस गाँव से गुजरे।
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| 36. | भाग्य, किस्मत, नियति, दैव आदि क्या है?
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| 37. | इसलिए दैव को एकलिंग कहते हैं या एक लिंग।
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| 38. | समझावें जो जो दैव दिखावे उसे धीरज से देखना।
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| 39. | वासवदत्ताः (स्वगत्) आह! दैव कितने निर्दय हैं।
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| 40. | तातें दैव कलंक मिस, दियौ दिठौना लाय ।
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