| 31. | धर्मसंगत कर दिया है, भले ही ऐसा करने के लिए उन्हें उस हानि और नुक़सान
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| 32. | जो किसी चीज़ को एक हिक्मत (तत्वदर्शिता) और हित के कारण ही धर्मसंगत बनाता है।
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| 33. | अपमान और जिज़्या लगा दिया है, तो उसके अंदर उन का विरोध करना धर्मसंगत कर
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| 34. | 32क्या अल्लाह से मांगने के लिए 100 बार सूरत फातिहा पढ़ना धर्मसंगत है?.
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| 35. | तोड़ना धर्मसंगत है यदि रोज़ा उसे नुक़सान पहुँचाता है या उसके लिए रोज़ा रखना कष्ट और
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| 36. | अतः नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इसी बात को मस्नून और धर्मसंगत क़रार दिया है।
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| 37. | किया है, किंतु आप इस बात पर अक़ीदा (विश्वास) रखते है कि धर्मसंगत केवल तैंतीस की
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| 38. | अतः इसमें कोई पाप की बात नहीं है, बल्कि वह वैद्ध (धर्मसंगत) है।
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| 39. | करना केवल उसी चीज़ के द्वारा हो सकता है जिसे अल्लाह और उसके पैगंबर ने धर्मसंगत
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| 40. | है कि अल्लाह तआला जिस चीज़ को भी धर्मसंगत क़रार देता है, वह सर्वश्रेष्ठ हिक्मत पर
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