धार्मिक ग्रंथों की मानव उत्पत्ति संबंधी एक-एक मान्यता का संजीव तार्किक विष्लेषण करते है और पाते है कि स्वयं हिंदू धर्म-ग्रंथ मानव उत्पत्ति को ऐकर एकमत नही है।
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मुझे नहीं लगता दुनिया के किसी भी धर्म-ग्रंथ में यह बात लिखी है, ऊंची आवाज में (लाउडस्पीकर) की गई प्रार्थना से भगवान ज्यादा खुश होते हैं।
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उदाहरण के तौर पर ईसाईयों के धर्मग्रंथ बाईबल, मुसलमानों के धर्म गं्रथ कुरान-ए-पाक, तोहराह (यहुदियों का धर्म-ग्रंथ) एवं सिखों के धर्म-ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब में भी एंजल का उल्लेख है।
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उदाहरण के तौर पर ईसाईयों के धर्मग्रंथ बाईबल, मुसलमानों के धर्म गं्रथ कुरान-ए-पाक, तोहराह (यहुदियों का धर्म-ग्रंथ) एवं सिखों के धर्म-ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब में भी एंजल का उल्लेख है।
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कुछ बुनियादी बातें हर युग के मानव के साथ रहती हैं और उन बुनियादी बातों में जरुर ऐसे ग्रंथ, जिन्हे धर्म-ग्रंथ भी कहा जाता है, सहायक सिद्ध हो सकते हैं और कुछ मामलों में होते भी हैं।
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कुछ बुनियादी बातें हर युग के मानव के साथ रहती हैं और उन बुनियादी बातों में जरुर ऐसे ग्रंथ, जिन्हे धर्म-ग्रंथ भी कहा जाता है, सहायक सिद्ध हो सकते हैं और कुछ मामलों में होते भी हैं।
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कुछ बुनियादी बातें हर युग के मानव के साथ रहती हैं और उन बुनियादी बातों में जरुर ऐसे ग्रंथ, जिन्हे धर्म-ग्रंथ भी कहा जाता है, सहायक सिद्ध हो सकते हैं और कुछ मामलों में होते भी हैं।
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आप खुद समझ लें के आप हज़ारों साल पुराना संविधान follow कर रहे हैं. 2.-आदि धर्म-ग्रंथ संस्कृत में होनी चाहिए अरबी या फारसी में नहीं | भाई, क़ुरान को मुसलमान कब आदि ग्रंथ कहते हैं.
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‘‘ धर्म-ग्रंथ सब जला चुकी है जिसके अंतर की ज्वाला, मंदिर, मस्जिद, गिरजे-सबको तोड़ चुका जो मतवाला, पंडित, मोमिन, पादरियों के फंदों को जो काट चुका, कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाला।
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वेदादि धर्म-ग्रंथ जो इतने माननीय हैं सो इसीलिए कि उनमें धर्म का उपदेश ऐसे शब् द समूहों में है जो चित् त को अपनी ओर खींच लेते हैं और ऐसा चित् त में गड़ के बैठ जाते हैं कि हटाए नहीं हटते।