और यदि कोई सानिया माइनो की तुलना मदर टेरेसा या एनीबेसेण्ट से करता है तो उसकी बुद्धि पर तरस खाया जा सकता है और हिन्दुस्तान की बदकिस्मती पर सिर धुनना ही होगा …
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कितनी गज़लें? और बतायें ये भी, कितनी उगा रखीं गीतों की फसलें? ताकि योजना बना सकें हम, कितना जगना कितना सोना कितना सर को धुनना होगा, कितना रोलें कितना हंसलें
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शेरो-शायरी या नॉविलों में देहाती जिन्दगी को रोमेंटिसाइज करके उसकी निश्छलता, सादगी, सब्र और प्राकृतिक सौन्दर्य पर सर धुनना और धुनवाना और बात है लेकिन सचमुच किसी किसान के आधे पक्के या मिट्टी गारे के घर में ठहरना किसी शहरी इन्टेलेक्चुअल के बस का रोग नहीं।
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शेरो-शायरी या नॉविलों में देहाती जिन्दगी को रोमेंटिसाइज करके उसकी निश्छलता, सादगी, सब्र और प्राकृतिक सौन्दर्य पर सर धुनना और धुनवाना और बात है लेकिन सचमुच किसी किसान के आधे पक्के या मिट्टी गारे के घर में ठहरना किसी शहरी इन्टेलेक्चुअल के बस का रोग नहीं।
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“शेरो-शायरी या नॉविलों में देहाती जिन्दगी को रोमेंटिसाइज करके उसकी निश्छलता, सादगी, सब्र और प्राकृतिक सौन्दर्य पर सर धुनना और धुनवाना और बात है लेकिन सचमुच किसी किसान के आधे पक्के या मिट्टी गारे के घर में ठहरना किसी शहरी इन्टेलेक्चुअल के बस का रोग नहीं”
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शेरो-शायरी या नॉविलों में देहाती ज़िन्दगी को रोमेंटिसाइज़ करके उसकी निश्छलता, सादगी, सब्र और प्राकृतिक सौन्दर्य पर सर धुनना और धुनवाना और बात है लेकिन सचमुच किसी किसान के आधे पक्के या मिट्टी गारे के घर में ठहरना किसी शहरी इन्टेलेक्चुअल के बस का रोग नहीं।
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शेरो-शायरी या नॉविलों में देहाती ज़िन्दगी को रोमेंटिसाइज़ करके उसकी निश्छलता, सादगी, सब्र और प्राकृतिक सौन्दर्य पर सर धुनना और धुनवाना और बात है लेकिन सचमुच किसी किसान के आधे पक्के या मिट्टी गारे के घर में ठहरना किसी शहरी इन्टेलेक्चुअल के बस का रोग नहीं।
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शेरो-शायरी या नॉविलों में देहाती जिन्दगी को रोमेंटिसाइज करके उसकी निश्छलता, सादगी, सब्र और प्राकृतिक सौन्दर्य पर सर धुनना और धुनवाना और बात है लेकिन सचमुच किसी किसान के आधे पक्के या मिट्टी गारे के घर में ठहरना किसी शहरी इन्टेलेक्चुअल के बस का रोग नहीं।
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दुनिया भर की बातों में अपनी सुनना सीख गयाबातों से निकली बातों को अब मैं गुनना सीख गयाअब कितने दिन रह पाएगी इस घर में वीरानी येमैं दीवारों की सीलन में तस्वीरें बुनना सीख गयामेरा हक़ तो मिल जाता येन-केन-प्रकरेण मुझेअपने जैसों की ख़ातिर मैं सिर धुनना सीख गयाउनकी नज़रों म...
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याददाश्त पर आपकी, हमको पूरा है विश्वास मानव ही तो हैं आप भी, थकने का इतिहास थकने का इतिहास कि इसकी चिंता न करना हाथ हिला कर बतलाऊँगा कब ताली है भरना कहते है कविराय कि तुम बस डूब के सुनना जब मजा बहुत आ जाये, तब तुम ताली धुनना.