| 31. | धेनु दुहत अति ही रति बाढ़ी ।
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| 32. | बिप्र धेनु सुर साधु हित, लीन्ह मनुज अवतार।
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| 33. | कहुँ महिष मानषु धेनु खर अज खल निसाचर भच्छहीं।।
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| 34. | उत्क्रांति धेनु: चार महापापों के निवारणार्थ।
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| 35. | छं.-जनु धेनु बालक बच्छ तजि गृहँ चरन बन परबस गईं।
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| 36. | कृतवीर्य ने उन्हें कपिला नामक धेनु दान में दी थी।
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| 37. | कान्हा चरावे धेनु गइया हो रामा,
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| 38. | चरों निज नन्द की धेनु मझारन
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| 39. | मि.-लात खाय पुचकारिये, होइ दुधारु धेनु
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| 40. | बिप्र धेनु हित संकट सहहीं॥नीति निपुन जिन्ह कइ जग लीका।
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