धोख़ा कर चुके हैं तो सारी छुपवाँ तदबीर का मालिक तो अल्लाह ही है (12) (12) फिर बगैर उसकी मर्ज़ी के किसी की क्या चल सकती है और जब हक़ीक़त यह है तो मख़लूक़ का क्या डर.
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एल एस डी जो सच्चाई से दूर एक सपनीली दुनिया में तैराने की एक गोली हुआ करती थी, यह फ़िल्म आज के इण्डिया की वो सच्ची तस्वीर है जिसमें बुरक़े पहन कर जवान मुस्लिम लड़कियां ‘लव सेक्स और धोख़ा ' देखने चली आतीं है।
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मैं उस औरत को नहीं जानता लेकिन उसकी आँखों का दावा है कि मैंने उसे धोख़ा दिया है, उसे इधर से भी तोड़ दिया है, उधर से भी और अब उसे न जानने का ढोंग रच कर अपने जुर्म से इनकार कर रहा हूँ ।
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एल एस डी जो सच्चाई से दूर एक सपनीली दुनिया में तैराने की एक गोली हुआ करती थी, यह फ़िल्म आज के इण्डिया की वो सच्ची तस्वीर है जिसमें बुरक़े पहन कर जवान मुस्लिम लड़कियां ‘ लव सेक्स और धोख़ा ' देखने चली आतीं है।
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उनका कहना था कि किसी भारत समर्थक नेता का मुशर्रफ़ के फार्मूले का समर्थन करना अच्छा संकेत है लेकिन उन्होंने आशंका भी ज़ाहिर की कि मुफ़्ती मोहम्मद सईद इस तरह की बातें कश्मीर में होने वाले चुनाव के मद्देनज़र लोगों को धोख़ा देने के लिए कर रहे हैं.
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(ख़ाज़िन और बैज़ावी) ये मुनाफ़िक़ जब उनसे मिलते है तो कहते है हम तुम्हारे साथ हैं और मुसलमानों से मिलना सिर्फ़ धोख़ा और मज़ाक उड़ाने की ग़रज़ से इसलिये है कि उनके राज़ मालूम हों और उनमें फ़साद फैलाने के अवसर मिलें. (ख़ाजिन)
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मेरी आँखे उससे पूछती है वह बताती क्यों नहीं मैंने उसे क्या धोख़ा दिया है और किस आलम में और कब, कि इधर और उधर से उसकी मुराद क्या है, कि वह मुझसे चाहती क्या है, कि वह मेरी है कौन, कि वह आदमी कौन है, कि आख़िर सारा बखेड़ा है क्या।
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हर बात यहाँ बात बढ़ाने के लिये है ये उम्र जो धोख़ा है तो खाने के लिये है ये दामन-ए-हसरत है वही ख़्वाब-ए-गुरेज़ाँ जो अपने लिये है न ज़माने के लिये है [गुरेज़ाँ = उड़ता हुआ] उतरे हुए चेहरे में शिकायत है किसी की रूठी हुई रंगत है मनाने के लिये है ग़ाफ़िल!
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ये इतिहास में कोई भी देख सकता है. मुक़दमा उन पर चलना चाहिए.लेकिन अरूंधति पर विनोदजी के आंकलन से सहमत होना कठिन है क्योंकि वो अलगाववाद का समर्थन करती है.ये देश के साथ धोख़ा है.जितने कारण उन्होंने कश्मीर के अलग होने के दिए है तो हज़ारों कारण है जो बताते है कि कश्मीर भारत का हिस्सा है.जब भी कोई व्यक्ति कश्मीर पर बोलता है तो उसमें उसके निहित स्वार्थ छिपे होते है.
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ऐ हामान मेरे लिये ऊंचा महल बना शायद मैं पहुंच जाऊं रास्तों तक {36} काहे के रास्ते आसमानों के तो मूसा के ख़ुदा को झाँक कर देखूं और बेशक मेरे गुमान में तो वह झूटा है (19) (19) यानी मूसा मेरे सिवा और ख़ुदा बताने में और यह बात फ़िरऔन ने अपनी क़ौम को धोख़ा देने के लिये कही क्यों कि वह जानता था कि सच्चा मअबूद सिर्फ़ अल्लाह तआला है और फ़िरऔन अपने आपको धोख़ा धड़ी के लिये ख़ुदा कहलवाता है.