बहरहाल आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र यानि इसरो उस समय इतिहास रचा जब उसने अपने रोकेट पीएसएलवी सी9 के माध्यम से एक दो नही बल्कि 10 उपग्रह एक साथ ध्रुवीय कक्षा मे स्थापित किया.
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नासा के पास हाल में एक मिशन अंतर्गत एक ध्रुवीय कक्षा से बृहस्पति का विस्तार में अध्ययन चल रहा है | जूनो नामक, यह अंतरिक्ष यान २०११ में प्रक्षेपित हुआ, और २०१६ के अंत तक यथास्थान पहुँच जाएगा |[55]
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रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार की जिम्मेदारी निभा रहे सारस्वत ने बताया कि वैज्ञानिक ऐसा हथियार तैयार करने की प्लानिंग कर रहे हैं, जिससे धरती की लोअर कक्षाओं और ध्रुवीय कक्षा में उपग्रहों पर निशाना साधकर उन्हें नष्ट किए जा सकेंगे।
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अप्रैल 22, 2011 को कक्षीय ट्रिम्मिंग युक्तिचालन का सफल आयोजन किया गया और रिसोर्ससैट-2 को अब 813 कि. मी. के अपभू, 825 कि. मी. के उपभू और 98.78 डिग्री आनति पर सूर्य-तुल्यकाली ध्रुवीय कक्षा में अंतिम कक्षीय संरूपण में स्थापित किया गया है।
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श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र के प्रथम लांच पैड से सुबह नौ बजकर 51 मिनट पर प्रक्षेपित किए गए पीएसएल वीसी-21 ने कुछ ही मिनटों में 712 किलोग्राम वजन वाले फ्रांस के उपग्रह स्पाट 6 और 15 किलोग्राम वजन के जापानी उपग्रह प्रोइटर्स को ध्रुवीय कक्षा में स्थापित कर दिया।
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बृहस्पति से मुठभेड़ के लिए अगला मिशन, यूलिसेस सौर यान ने, सूर्य के चारों ओर एक ध्रुवीय कक्षा प्राप्त करने के लिए उड़ान कलाबाजी का प्रदर्शन किया | इस गुजारें के दौरान अंतरिक्ष यान ने बृहस्पति के मेग्नेटोस्फेयर के अध्ययनों का संचालन किया | यूलिसेस के पास कैमरा नहीं होने से, कोई छवि नहीं ली गई| छः साल बाद एक दूसरी उड़ान बहुत अधिक से अधिक दूरी पर थी