और, सौर-मंडल में ब्रह्मा-विष्णु-महेश (साकार सूर्य और पृथ्वी अर्थात गंगाधर शिव) को परम ब्रह्मा, ॐ द्वारा प्रदर्शित ध्वनि ऊर्जा को, ३-डी साकार सृष्टि का सार माना जाता आया है)...
32.
PMमेरी सोच, अथवा योगियों की सोच के अनुसार, नाद बिंदु विष्णु / राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य, अर्थात शुक्र ग्रह के सार, का निवास स्थान-साकार मानव शरीर में-ध्वनि ऊर्जा के स्रोत, कंठ में है...
33.
जनप्रतिनिधि की इज्जत करने की भावना देखकर मुझे लगा कि जनप्रतिनिधियों की इज्जत करने की भावना के साथ नत्थी ध्वनि ऊर्जा की वैकल्पिक ऊर्जा का उपयोग करके देश के ऊर्जा संकट से निपटने का प्रयास किया जा सकता है।
34.
जनप्रतिनिधि की इज्जत करने की भावना देखकर मुझे लगा कि जनप्रतिनिधियों की इज्जत करने की भावना के साथ नत्थी ध्वनि ऊर्जा की वैकल्पिक ऊर्जा का उपयोग करके देश के ऊर्जा संकट से निपटने का प्रयास किया जा सकता है।
35.
मेरी सोच, अथवा योगियों की सोच के अनुसार, नाद बिंदु विष्णु / राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य, अर्थात शुक्र ग्रह के सार, का निवास स्थान-साकार मानव शरीर में-ध्वनि ऊर्जा के स्रोत, कंठ में है...
36.
नियति क्या जाने विज्ञान के इस नियम को उसने कहते समय सोचा भी न होगा कि उसके मुँह से निकली ध्वनि ऊर्जा पूरे ब्रह्माण्ड में घूमकर नायिका की तड़प में परिवर्तित हो जाएगी और वो तड़प और प्यास की ऊर्जा... नायक की तलाश में..............
37.
और मानव शरीर नौ ग्रहों के सार के माध्यम से बना, जिसमें शनि का सार मानव शरीर में उपस्थित स्नायु तंत्र को माना गया और शुक्र ग्रह के सार का आवास मानव कंठ में, ध्वनि ऊर्जा यानी ब्रह्मनाद ॐ के स्रोत का प्रतिरूप!...
38.
स्वयं निराकार अजन्मे और अनंत ' परमात्मा' ने ध्वनि ऊर्जा (ब्रह्मनाद ॐ) को साकार रूप के लिए अनिवार्य तत्वों, पंचतत्वों/ पञ्चभूत, में परिवर्तित कर सम्पूर्ण अस्थायी साकार ब्रह्माण्ड की रचना कर, अपनी सर्वश्रेष्ठ कृति, अपने ही प्रतिरूप पृथ्वी-चन्द्र / वसुधा, पर एक विचित्र तंत्र, पशु-जगत बना मानव को उलझा दिया!
39.
किन्तु अन्य ग्रहों को जो सूर्य की विभिन्न कक्षा में परिक्रमा करते दीखते हैं, किन्तु विष्णु के कान से उत्पन्न होते राक्षस दर्शाया!... और, सौर-मंडल में ब्रह्मा-विष्णु-महेश (साकार सूर्य और पृथ्वी अर्थात गंगाधर शिव) को परम ब्रह्मा, ॐ द्वारा प्रदर्शित ध्वनि ऊर्जा को, ३-डी साकार सृष्टि का सार माना जाता आया है)...
40.
लिन्तु डॉक्टर साहिब, एक नोट करने वाली बात यह है कि ब्रह्मा-विष्णु-महेश भी (ध्वनि ऊर्जा ॐ के संकेत समान) तीन इक्के कहे जा सकते हैं, और गद्दी में चार प्रकार के १ ३ पत्ते, अर्थात कुल ५ २ पत्ते समान, एक वर्ष में सप्ताह भी होते हैं!