यदि एक व्यक्ति जिसके विरूद्ध निवारक नजरबन्दी आदेश पारित किया है वह न्यायालय को यह दर्शित कर सके कि उक्त निरूद्धीकरण आदेश स्पष्टतया अवैध है तो उसे जेल जाने के लिए क्यों विवश किया जावे।
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बहरहाल जेपी ने खबर लेनी शुरु की तब मैंने उन्हें बताया कि उनके मित्र नवकृष्ण चौधरी नजरबन्दी के दौरान पक्षाघात के शिकार हुए तब उन्हें पेरोल के कागजात पर खुद के दस्तख़त करने में २५ मिनट लग गए थे।
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बहरहाल जेपी ने खबर लेनी शुरु की तब मैंने उन्हें बताया कि उनके मित्र नवकृष्ण चौधरी नजरबन्दी के दौरान पक्षाघात के शिकार हुए तब उन्हें पेरोल के कागजात पर खुद के दस्तख़त करने में २ ५ मिनट लग गए थे।
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यह पूर्व तानाशाह मुशर्रफ की नजरबन्दी से समझी जा सकती है जिनको इस बार चुनाव लड़ने के अयोग्य न केवल घोषित कर दिया गया बल्कि उनको सत्ता पथ पर फटकने से रोकने के लिए सभी दल जम्हूरियत की जंग में साथ-साथ कदमताल भी करने लगे।
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यह पूर्व तानाशाह मुशर्रफ की नजरबन्दी से समझी जा सकती है जिनको इस बार चुनाव लड़ने के अयोग्य न केवल घोषित कर दिया गया बल्कि उनको सत्ता पथ पर फटकने से रोकने के लिए सभी दल जम्हूरियत की जंग में साथ-साथ कदमताल भी करने लगे।
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एक सच्चे स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उन्हांेने स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान रोहतक, हिसार, अम्बाला, फिरोजपुर, मुल्तान, स्यालकोट तथा केन्द्रीय व बोस्र्टल जेल लाहौर सहित आठ जेलों की यात्राएं करते हुए कुल साढ़े तीन वर्ष की कठोर कैद और दो वर्ष की नजरबन्दी की सजा झेली।
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काफी दिनों तक गिरफ्तार नहीं कर पाने की चिढ़ और आंदेालन में मेरी भूमिका को बढ़ा-चढ़ा कर देखने के कारण, गिरफ्तार करने के बाद पुलिस प्रशासन मुङो अधिक से अधिक यातनापूर्ण स्थिति में रखना चाहता था और उसका उपाय नजरबन्दी के साथ ैलउइसव श्ब्श् लगाना था, जिससे नजरबन्दी में जो कुछ खाने-पीने, रहने और मुलाकात की सुविधाएं मिलती हैं, उन्हें खतम किया जा सके।
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काफी दिनों तक गिरफ्तार नहीं कर पाने की चिढ़ और आंदेालन में मेरी भूमिका को बढ़ा-चढ़ा कर देखने के कारण, गिरफ्तार करने के बाद पुलिस प्रशासन मुङो अधिक से अधिक यातनापूर्ण स्थिति में रखना चाहता था और उसका उपाय नजरबन्दी के साथ ैलउइसव श्ब्श् लगाना था, जिससे नजरबन्दी में जो कुछ खाने-पीने, रहने और मुलाकात की सुविधाएं मिलती हैं, उन्हें खतम किया जा सके।
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उन्हें यही दर लगा रहता था कि जिस आमरण उपवास का गांधीजी बार-बार इरादा जाहिर किया करते थे, वह नजरबन्दी में अमली रूप न ले ले?१४ अगस्त १९४२ ई. की रात को,जब सारे महल में खामोशी छायी हुयी थी,महादेव बड़ी रात तक मेरे कमरे में बैठकर जरूरी विषयों पर बातचीत करते रहे-मानो उन्हें यह भान हो गया था कि इन बातों के लिए कभी वक्त नहीं मिलेगा ।