नवपाषाण युग में दो लोगों को एक साथ दफ़नाए जाने के कोई चिन्ह नहीं मिलते हैं और दो लोगों का इस तरह आलिंगनबद्ध होना तो एक अनहोनी घटना है”.
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नवपाषाण युग से लेकर आर्यों के आगमन, चेरा साम्राज्रू, अरबों और यूरोपियन आधिपत्य की लंबी दास्तान अब भी यहां की धरती पर अवशेष के रूप में मौजूद हैं।
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नवपाषाण युग में, इसे व्यवस्थित जीवन शैली की शुरूआत के रूप में परि भाषि त किया गया जो बाद में जटिल सभ्यता के रूप में अपनी पराकाष्ठा पर पहुंचा।
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फ़िर भी माना जाता है कि यह मध्य एशिया में से शेष विश्व में फ़ैली है | नवपाषाण युग में इसे उगाया जाने लगा था, जिसके प्रमाण जोर्जिया में मिलते है।
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पुरातत्व और भाषाई सबूत यह सुझाते हैं कि कोरियाई लोगों की उत्पत्ति दक्षिण-मध्य साइबेरिया के अल्टायाक भाषा बोलने वाले प्रवासियों में हुई थी, 1 जो नवपाषाण युग से कांस्य युग तक लगातार बहाव में प्राचीन कोरिया में बसते गए.
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पुरातत्व और भाषाई सबूत यह सुझाते हैं कि कोरियाई लोगों की उत्पत्ति दक्षिण-मध्य साइबेरिया के अल्टायाक भाषा बोलने वाले प्रवासियों में हुई थी, [2] जो नवपाषाण युग से कांस्य युग तक लगातार बहाव में प्राचीन कोरिया में बसते गए.
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असमानता को विकसित समाज का दोष माना जाता है, लेकिन एक नए अध्ययन के मुताबिक करीब सात हजार वर्ष पहले नवपाषाण युग में भी वर्ण व्यवस्था हुआ करती थी और समाज में सभी को बराबरी का दर्जा हासिल नहीं थ... 'मिशेल ओबामा ने दिए समानता के टिप्स'
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नवपाषाण युग (७, ०००बी. सी.-३, ७००बी. सी.), ताम्र कालीन (३, ७००बी. सी.-२, ७००बी. सी) और लौह कालीन (७७०बी. सी.) और कई अधिक अवशेष येलोनदी के निकास जलकुंड में पा सकते हैं, जो एजिलियन (मध्य प्रस्तर युग) के समय से प्राचीन चीनी संस्कृति का केन्द्र रह चुकी है।
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बर्कीनिया फ़ासो के बच्चों के आहार वही थे जो नवपाषाण युग में थे, यथा, अधिक मात्रा में मंड (स्टार्च), रेशे तथा बहुशर्कराइड (पोली सैकैराइड) थे और उसमें वसा तथा पशु मांस बहुत कम थे, और सब्जियां, दालें, बाजरा तथा सिरघम (एक प्रकार का गन्ना) आदि थे।
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भारत मे नवपाषाण युग के अवशेष सम्भवता 6000 इसा पुर्व से 1000 इसा पुर्व के है, विकास कि यह अवधि भारतीय उपमहाद्वीप मे कुछ देर से आयी, क्योकि ऐसा माना जाता है कि विश्व के बडे भुभाग मे यह युग 7000 इसा पुर्व के आसपास पनपा इस युग मे मानव पत्थर कि बनी हाथ कि कुलहाडिया आदि औजार पतथर को छिल घीस और चमकाकर तैयार करता था, उत्तरी भारत मे नवपाषाण युग का स्थल बुर्जहोम (कशमीर) मे पाया गया है भारत मे नव पाषाण काल के प्रमुख चार स्थल है