शाख के पत्ते के माध्यम से नव्वे साल की उम्र में लिखी गई रचना की १४ वीं कड़ी पढी / पहले तो डाक्टर साहिब का आभार /जिन्दगी में सार हो और आदमी खुद्दार हो रास्ता कोई भी हो, यही बात तो आज कल कोई नहीं मान रहा है,सब के अपने अपने रस्ते हैं,अपने अपने भव हैएक मार्ग दर्शक,आध्यात्मिक रचना,प्रेरणा प्रद
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साठ वर्षों का अनुसूचित जाति, जनजाति बैकलॉग पूरा किया है, एक लाख सफ़ाई कर्मचारियों की भर्ती, लगभग नव्वे हज़ार प्राईमरी अध्यापकों की भर्ती, कुख्यात ददुवा, राजा भैया और सुग्रीव, पहले की सरकारें जिनके चरण छूती थीं, उनका सुनियोजित सफ़ाया, भूमिहीनों को खेती के लायक भूमि आबंटन, बेगारों को घर (गाँवों और शहरों में), हज़ारों अवैध क़ब्ज़े हटाए गए, चार हज़ार तालाबों का निर्माण कराया गया.