ये दोनों कान गौतम और भारद्वाज ऋषि हैं ये दोनों नेत्र ही विश्वामित्र और जमदग्नि ऋषि हैं, दोनों नासिका छिद्र वसिष्ठ और कश्यप हैं और वाक् ही सातवें अत्रि ऋषि हैं।
32.
कुछ देर साँस अपनी क्षमतानुसार रोक कर फिर दाहिने नासिका छिद्र को दायें हाथ के अंगूठे से दबाएं और फिर कंठ का संकुचन करते हुए बायें नासिका छिद्र से धीरे-धीरे श्वास बाहर निकालें।
33.
कुछ देर साँस अपनी क्षमतानुसार रोक कर फिर दाहिने नासिका छिद्र को दायें हाथ के अंगूठे से दबाएं और फिर कंठ का संकुचन करते हुए बायें नासिका छिद्र से धीरे-धीरे श्वास बाहर निकालें।
34.
फिर दायें नासिका छिद्र से साँस को बिना आवाज किए अंदर भरें, और अपने दोनों हाथ की अंगुलियों से दायें नासिका छिद्र को भी बंद कर लें और अपनी क्षमतानुसार साँस को रोकें।
35.
फिर दायें नासिका छिद्र से साँस को बिना आवाज किए अंदर भरें, और अपने दोनों हाथ की अंगुलियों से दायें नासिका छिद्र को भी बंद कर लें और अपनी क्षमतानुसार साँस को रोकें।
36.
-उत्तम संतान के लिए लक्ष्मणा, वट के नए कोपल, सहदेवा एवं विश्वदेवा में से किसी एक को दूध के साथ पीस कर स्त्री के दाहिने एवं बाएं नासिका छिद्र में डालना चाहिए।
37.
7. नाडी शोधन प्राणायाम-नाडी शोधन प्राणायाम के लिये अनुलोम-विलोम प्राणायाम के समान ही दांई ओर के नासिका छिद्र को बन्द रखकर बांई ओर के नासिका छिद्र से धीमे-धीमे श्वास अन्दर भरें ।
38.
7. नाडी शोधन प्राणायाम-नाडी शोधन प्राणायाम के लिये अनुलोम-विलोम प्राणायाम के समान ही दांई ओर के नासिका छिद्र को बन्द रखकर बांई ओर के नासिका छिद्र से धीमे-धीमे श्वास अन्दर भरें ।
39.
7. नाडी शोधन प्राणायाम-नाडी शोधन प्राणायाम के लिये अनुलोम-विलोम प्राणायाम के समान ही दांई ओर के नासिका छिद्र को बन्द रखकर बांई ओर के नासिका छिद्र से धीमे-धीमे श्वास अन्दर भरें ।
40.
7. नाडी शोधन प्राणायाम-नाडी शोधन प्राणायाम के लिये अनुलोम-विलोम प्राणायाम के समान ही दांई ओर के नासिका छिद्र को बन्द रखकर बांई ओर के नासिका छिद्र से धीमे-धीमे श्वास अन्दर भरें ।