प्रत्येक वर्ग का पाँचवाँ व्यंजन ‘ नासिक्य ' है क्योंकि इसमें मुखविवर के साथ-साथ नासिका विवर से भी हवा बाहर निकलती है ।
32.
2. 6.1.5 अंग्रेज़ी, उर्दू से गृहीत शब्दों में आधे वर्ण या अनुस्वार के भ्रम को दूर करने के लिए नासिक्य व्यंजन को पूरा लिखना अच्छा रहेगा।
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2. 6.1.5 अंग्रेज़ी, उर्दू से गृहीत शब्दों में आधे वर्ण या अनुस्वार के भ्रम को दूर करने के लिए नासिक्य व्यंजन को पूरा लिखना अच्छा रहेगा।
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को मूल कारक मानना इसलिए भी ठीक नहीं है कि क्योंकि अनुस्वार के पीछे छुपी नासिक्य ध्वनियों के लिए हिन्दी के कई शब्दों के अंग्रेजी में हिज्जों में म व्यंजन का प्रयोग साफ़ देखा जाता है।
35.
प्रकार्य की दृष्टि से देखा जाए तो अ एवं ञ़्अ कंठ्यएवं तालव्य नासिक्य व्यंजन केवल " न" नासिक्य के उपस्वनों के रूप में प्रयोग किएजाते हैं जबकि म, न, ण का स्वतंत्र स्वनिमों के रूप में प्रयोग होता है.
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प्रकार्य की दृष्टि से देखा जाए तो अ एवं ञ़्अ कंठ्यएवं तालव्य नासिक्य व्यंजन केवल " न" नासिक्य के उपस्वनों के रूप में प्रयोग किएजाते हैं जबकि म, न, ण का स्वतंत्र स्वनिमों के रूप में प्रयोग होता है.
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प्रकार्य की दृष्टि से देखा जाए तो अ एवं ञ़्अ कंठ्यएवं तालव्य नासिक्य व्यंजन केवल " न" नासिक्य के उपस्वनों के रूप में प्रयोग किएजाते हैं जबकि म, न, ण का स्वतंत्र स्वनिमों के रूप में प्रयोग होता है.
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प्रकार्य की दृष्टि से देखा जाए तो अ एवं ञ़्अ कंठ्यएवं तालव्य नासिक्य व्यंजन केवल " न" नासिक्य के उपस्वनों के रूप में प्रयोग किएजाते हैं जबकि म, न, ण का स्वतंत्र स्वनिमों के रूप में प्रयोग होता है.
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प्रकार्य की दृष्टि से देखा जाए तो अ एवं ञ्अ कंठ्य एवं तालव्य नासिक्य व्यंजन केवल “न” नासिक्य के उपस्वनों के रूप में प्रयोग किए जाते हैं जबकि म, न,ण का स्वतंत्र स्वनिमों के रूप में प्रयोग होता है।
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प्रकार्य की दृष्टि से देखा जाए तो अ एवं ञ्अ कंठ्य एवं तालव्य नासिक्य व्यंजन केवल “न” नासिक्य के उपस्वनों के रूप में प्रयोग किए जाते हैं जबकि म, न,ण का स्वतंत्र स्वनिमों के रूप में प्रयोग होता है।