किसी भी फिक्रमंद भारतीय के लिए इस रिपोर्ट पर एक निगाह डालना बहुत पीड़ादायक होगा, क्योंकि एक सरसरी निगाह में भी विश्व में भारत की दर्दनाक स्थिति साफ नजर आती है....”
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तब लेखक का काम है कथित वास्तविकता पर पैनी निगाह डालना और पात्र की मूर्तता को पकड़ना फिर, जन्म लेना एक चीज है और लेखक के हाथों ‘ सृष्ट ' होना, रचित होना दूसरी।
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किसका है कसूर: सड़क हादसों के लिए दूसरे कारक किस तरह जिम्मेदार हो सकते हैं, इसे समझने के लिए मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे पर 1995 के दौरान हुए हादसों की जांच पर निगाह डालना उचित रहेगा।
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और, नारद http://narad.akshargram.com/ जी के क्या कहने-जब वे धमाका करेंगे तो जरूर ही वे ये सुविधा साथ में जोड़ेंगे-क्योंकि जब 5-10 हजार चिट्ठे होंगे तब तो उनमें एक साथ निगाह डालना भी असंभव होगा!
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और, नारद http://narad.akshargram.com/ जी के क्या कहने-जब वे धमाका करेंगे तो जरूर ही वे ये सुविधा साथ में जोड़ेंगे-क्योंकि जब 5-10 हजार चिट्ठे होंगे तब तो उनमें एक साथ निगाह डालना भी असंभव होगा!
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अगर मान लिया जाए कि इन लोगों की मंशा बिल्कुल पाक साफ है और ये वाकई समाज की पिछड़ी महिलाओं को उनका हक देना चाहते हैं, तो इस स्थिति में इन पार्टियों के रेकॉर्ड पर निगाह डालना जरूरी होगा।
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ज़रा आप समाज में निगाह डालना-यहाँ कितने लोग सुखी हैं और कितनें लोग दुःख नहीं चाहते? कोई दुःख नहीं चाहता लेकीन सुखी भी कोई नहीं है तभी तो नानक जी कहते हैं-नानक दुखिया सब संसार ।
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कहते है जब बड़े हादसे घट जाते है तब प्रशासन लकीर पीटने का काम करता है, लेकिन वक़्त रहते उस हादसे पर निगाह डालना तो दूर उस हादसे को आम लोगो से छिपाने के लिए कूड़े का सहारा लेता है, जी हाँ!!
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तमाम पश्चिमी पत्रकारों ने मान सिंह को भारत का राबिनहुड बताया जो अमीरों के यहां डकैती डालकर गरीबों की लड़कियों की शादी व अन्य जरूरतों में मदद करता था, महिलाओं की तरफ स्वयं तो क्या अपने किसी सदस्य द्वारा बुरी निगाह डालना उसे गवारा नहीं था।
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य हाँ पिछले दो दशक की फिल्मो पर एक सरसरी निगाह डालना उचित होगा, जिससे यह समझा जा सके कि दुनिया में इस दौरान हुए बदलाओं का आस्कर विजेता फिल्मो पर कितना असर पड़ा है | 1991 की विजेता फिल्म ‘ द साइलेंस आफ लैम्ब्स ' अपराध की थ्रिलर फिल्म है | 1992 में क्लिंट ईस्टवुड निर्देशित फिल्म ‘ अन्फारगिभेन ' एक हत्यारे के जीवन पर आधारित है |