कालिदास जब मालविकाग्निमित्र में कहते हैं कि जो पुराना है वह सभी सुंदर नहीं है और न नया मात्र नया होने से ही निन्द्य है, तो इसी बात को वे भिन्न तरीके से कह रहे होते हैं।
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फिर बोला, “योद्धा होकर तुम कराहते हो, यह चोलाएक सिपाही का है जिस को सभी सराहा करते हैं, जिस की अभिलाषा करते हैं, जो दुर्लभ है, तुम आज निराशावादी-जैसा निन्द्य आचरण करते हो।” कहना सुन ऐसाउधर सिपाही ने देखा जिस ओर खड़ा हो
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उनके इस पक्षपातपूर्ण व्यवहार का किस्सा एक दूसरे यशस्वी सम्पादक को सुना डाला और यशस्वी सम्पादक ने उस पक्षपाती सम्पादक को बड़े जोर से डाँट बतायी और कहा-यह व्यवहार निन्द्य है ओर आपत्तिजनक है, इस लायक है कि सभी सम्पादक लज्जा से सिर झुका लें।
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9. शहीद सुखदेव का एक पत्र गांधीजी को फाँसी के बाद मिला, जिसे उन्होंने २ ३ अप्रैल १ ९ ३ १ को “ यंग इंडिया ” में प्रकशित करते हुए लिखा की-राजनैतिक हत्याएं चाहें कितनी भी निन्द्य क्यूँ न हों, तो भी जिस देशप्रेम और साहस के कारण ऐसे भयानक कम किये जाते हैं, उनके लिए मन में प्रशंसा का भाव आये बिना रह नहीं सकता.....