एक निबन्ध संग्रह ' संस्कृति और समाज', विकल्प की ओर से प्रकाश्य अन्य: 'अभिव्यक्ति', 'प्ररेणा' और 'सामान्य जन संदेश' पत्रिकाओं में संपादन सहयोग।
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अब तक आपके पांच कहानी संग्रह, एक लघुकथा संग्रह, तीन काव्य संग्रह एवं दो निबन्ध संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।
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प्रो 0 मिश्र जी का अगला निबन्ध संग्रह है-‘ मेरे राम का मुकुट भीग रहा है ' इसमें आपके सत्रह विशिष्ट निबन्ध प्रकाशित हुए हैं।
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इसी प्रकार काव्य पंक्तियों के संदर्भ से लिखे निबन्ध और निबन्ध संग्रह हैं ' तुम चंदन हम पानी ', ' लागौ रंग हरी ' आदि।
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इनके बालगीत संग्रह ' संकल्प ' निबन्ध संग्रह ' चिन्तन के क्षण ' और ' लोकतन्त्र-लोकमत-स्वदेसी ' तथा ' एकात्म मानववाद-एक विस्लेसण ' चर्चित कृतियॉं हैं ।
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निबन्ध एवं विधा में भी उन्होंने अपने हाथ आजमाए और लगता है बेकार गए हम एवं खुद हाफिज कहने का मोह नामक निबन्ध संग्रह साहित्य को दिए।
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उनके ये वर्णवादी विचार उनके लेख ‘ वर्णाश्रम धर्म की वर्तमान स्थिति ' में देखे जा सकते हैं, जो उनके निबन्ध संग्रह ‘ चाबुक ' में संकलित है।
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जिसमें फ़िराक़ गोरखपुरी पर केंद्रित एकाग्र कुछ ग़में जाना कुछ ग़में दौरा (विश्वरंजन), आलोचनात्मक कृति “साहित्य की सदाशयता (जयप्रकाश मानस), ललित निबन्ध संग्रह परम्परा का पुनराख्यान (डॉ.
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समीक्ष्य निबन्ध संग्रह ‘अनुभूतियाँ और विमर्श ' में कृष्ण कुमार यादव के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित विभिन्न 15 लेखों को निबन्ध संग्रह के रूप में संकलित कर प्रस्तुत किया गया है।
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समीक्ष्य निबन्ध संग्रह ‘अनुभूतियाँ और विमर्श ' में कृष्ण कुमार यादव के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित विभिन्न 15 लेखों को निबन्ध संग्रह के रूप में संकलित कर प्रस्तुत किया गया है।