कोपेनहेगन स्कूल (हाइजेनबर्ग और बोर) और आइंस्टीन के बीच बहस की यहीं त्रासदी थी ; विज्ञान के लिए अंधभक्ति हमेशा नियतत्ववाद और अज्ञेयवाद के युग्मों की ‘
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2. आधुनिक भौतिकी में संकट संकट का इतिहासः नियतत्ववाद बनाम अज्ञेयवाद और द्वन्द्वात्मक भौतिकवादी हस्तक्षेप 20वीं शताब्दी की शुरुआत से ही भौतिकी के ‘संकट' की शुरूआत हो चुकी थी।
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वैज्ञानिक दो खेमों में बँट गयेः नियतत्ववाद, जिसकी नुमान्दगी आइंस्टीन, श्रोडिंगर, आदि कर रहे थे और दूसरा अज्ञेयवाद, जिसकी नुमाइन्दगी बोर के नेतृत्व में कोपेनहेगेन स्कूल कर रहा था।
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लेकिन यह भी सच है कि आइंसटीन का यह नियतत्ववाद बोर और हाइज़ेनबर्ग के नवकाण्टीय अज्ञेयवाद की प्रतिक्रिया के रूप में अधिक पैदा हुआ था, सकारात्मक तौर पर कम।
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यही द्वंद्वात्मक भौतिकवादी नजरिया है और वास्तव में हाइजे़नबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धान्त द्वन्द्वात्मक भौतिकवादी दृष्टिकोण को सिद्ध करता है, जो हमेशा से नियतत्ववाद और प्रत्यक्षवाद के विरुद्ध संघर्ष करता रहा है।
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यह नियतत्ववाद ही आइंस्टीन के दार्शनिक वैज्ञानिक जीवन की सबसे बड़ी कमी था, और इसी के कारण साॅल्वे सम्मेलन में हुई महान वैज्ञानिक बहसों में उनकी अवस्थिति कोपेनहेगेन स्कूल के समक्ष कमज़ोर पड़ी।
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वैज्ञानिक दो खेमों में बँट गयेः नियतत्ववाद, जिसकी नुमान्दगी आइंस्टीन, श्रोडिंगर, आदि कर रहे थे और दूसरा अज्ञेयवाद, जिसकी नुमाइन्दगी बोर के नेतृत्व में कोपेनहेगेन स्कूल कर रहा था।
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यही द्वंद्वात्मक भौतिकवादी नजरिया है और वास्तव में हाइजे़नबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धान्त द्वन्द्वात्मक भौतिकवादी दृष्टिकोण को सिद्ध करता है, जो हमेशा से नियतत्ववाद और प्रत्यक्षवाद के विरुद्ध संघर्ष करता रहा है।
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यह नियतत्ववाद ही आइंस्टीन के दार्शनिक वैज्ञानिक जीवन की सबसे बड़ी कमी था, और इसी के कारण साॅल्वे सम्मेलन में हुई महान वैज्ञानिक बहसों में उनकी अवस्थिति कोपेनहेगेन स्कूल के समक्ष कमज़ोर पड़ी।
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इस स्कूल का विरोध करते हुए आईंस्टीन, प्लांक आदि वस्तुतः नियतत्ववाद की ही रक्षा करने में लगे रहे और इसके लिए इन्होंने क्वाण्टम भौतिकी तथा अनिश्चितता के सिद्धांत को नकारने में पुरज़ोर शक्ति लगा दी।