संस्कृत व्याकरण के नियम “ निरुक्ति ” के अनुसार धर्म शब्द की व्युत्पत्ति ” धृ ” धातु से हुयी है ; निरुक्ति के अनुसार जिसका अर्थ है ‘
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संस्कृत व्याकरण के नियम “ निरुक्ति ” के अनुसार धर्म शब्द की व्युत्पत्ति ” धृ ” धातु से हुयी है ; निरुक्ति के अनुसार जिसका अर्थ है ‘
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संस्कृत व्याकरण के नियम “ निरुक्ति ” के अनुसार धर्म शब्द की व्युत्पत्ति “ धृ ” धातु से हुयी है ; निरुक्ति के अनुसार जिसका अर्थ है '
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संस्कृत व्याकरण के नियम “ निरुक्ति ” के अनुसार धर्म शब्द की व्युत्पत्ति “ धृ ” धातु से हुयी है ; निरुक्ति के अनुसार जिसका अर्थ है '
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' ' तन्त्र की निरुक्ति ‘ तन् ' (विस्तार करना) और ‘ त्रै ' (रक्षा करना), इन दोनों धातुओं के योग से सिद्ध होती है।
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मैंने उनसे पूछा कि शब्दकल्पद्रुम कोश में सीता की निरुक्ति ' सिनोति इति सीता '-जो बांधती है, वह सीता है, किस आधार पर की गई है ।
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तैत्तिरीय ब्राह्मण ३. ७. ११. २ में इसी ऋचा के संदर्भ में उचथ शब्द की निरुक्ति उच-समवाये / सम्बन्धे धातु के आधार पर की गई है ।
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उग्र की एक मात्र निरुक्ति नृसिंह पूर्वतापनीयोपनिषद २ ४ में प्राप्त होती है जहां सब लोकों, सब देवों, सब भूतों आदि के उद्ग्रहण करने वाले को उग्र कहा गया है ।
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शब्दों की निरुक्ति दर्शाता शब्दावली नाम का उसका चिट्ठा (हिंदी वाले ब्लाग को चिट्ठा कहते हैं) लगभग हर रोज़ अपडेट होता है, जिसके पाठकों की संख्या एक हज़ार पार कर चुकी है।
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शब्दों की निरुक्ति दर्शाता शब्दावली नाम का उसका चिट्ठा (हिंदी वाले ब्लाग को चिट्ठा कहते हैं) लगभग हर रोज़ अपडेट होता है, जिसके पाठकों की संख्या एक हज़ार पार कर चुकी है।