इन दिनों, जाने कितने दिनों ओर ये सिलसिला कायम रह पायेगा कुछ पता नहीं,फिर गर्मियों की दोपहर में सब कुछ अधूरा रह जाएगा-क्या अब भी लौटा जा सकता है 'हाँ” के साथ अपने ही सवाल के जवाब में एक निश्चित निर्णय लगातार अगले क्षण को मुल्तवी करता है फिर भी हैरानी नहीं होती..
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समझ नही आता के निश्चित निर्णय न लेने के कारण ऐसा होता है या वास्तव में कुछ मुद्दे उलझे ही रहना चाहते है शायद ये मुद्दे उलझ कर हमारे विचारो को दिशाहीन इअलिये करके रखते है ताकि हमको ये अहसास रहे कि हम मनुष्य है कोई दैवीय व्यक्ति नही जो हर बात को अपने हाथ में रख सके!
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इन दिनों, जाने कितने दिनों ओर ये सिलसिला कायम रह पायेगा कुछ पता नहीं, फिर गर्मियों की दोपहर में सब कुछ अधूरा रह जाएगा-क्या अब भी लौटा जा सकता है ' हाँ '' के साथ अपने ही सवाल के जवाब में एक निश्चित निर्णय लगातार अगले क्षण को मुल्तवी करता है फिर भी हैरानी नहीं होती..
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तब उसकी सोच की दिशा और मानसिक दशा यही हो सकती है, कि वह कभी जुंझलाए, कभी अपने पर गुस्सा हो, कभी परिवेश पर हो, कभी अपनी स्थिति को विश्लेषित करे, कभी विद्रोह की सोचे, कभी अपनी स्थिति को जस्टीफ़ाई करे, कभी अपने को, होने वाले निश्चित निर्णय और कार्यवाहियों के लिए तैयार करे, आदि-आदि।
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भाग्य अनुकूल, परिवार में सुख-शांति, मन प्रसन्न रहेगा, सुख-समृद्धि से आशा का संचार होगा, संतुष्ट रहेंगे, व्यापार के क्षेत्र में अनुकूलता एवं लाभप्रद स्थिति रहेगी, आर्थिक स्थिति ठीक रहेगी, योजनाओं में सफलता और प्रगति होगी, वाहन या सम् पत्ति सम्बन्धी मामलों में निश्चित निर्णय ले सकेंगे, ससुराल से लाभ होगा एसं सश्रम और कार्य कुशलता से मनोकांक्षाएं पूरी कर सकेंगे।