बहुत सीधा सवाल है, एक सच्चा निष्ठावान् हिन्दू अपने पड़ोसी मुसलमान से हजार सहानुभूति प्रकट करे परन्तु जब मन्दिर में ज़ोर से घण्टा बजाने का सवाल आयेगा तब वह निष्पक्ष कैसे रह सकता है?
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यदि वे आदर्शों के प्रति निष्ठावान् होंगे, व्यक्तिगत जीवन में पवित्रता और सेवा का व्रत धारण किये हुए होंगे, तो कम योग्यता होने पर भी उनके कार्यों से जनता का अत्यधिक हित साधन होता चलेगा।
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परवर्ती काल में वे भगिनी क्रिस्टीनी के रूप में स्वामी जी के सर्वाधिक निष्ठावान् शिष्यों में अन्यतम हुई और उन्होंने भगिनी निवेदिता द्वारा भारतीय नारी के शैक्षिक उन्नयन हेतु कलकत्ता में प्रारंभ किए हुए कार्य में हाथ बटाया।
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इसलिए जो अपने प्रिय के प्रति ‘ चिरन्तन ' सच्चा है, वह अवश्य किसी आदर्श से च्युत है, और जो आदर्श के प्रति निष्ठावान् है, वह अवश्य, कभी-न-कभी प्रिय को झर जाने देगा...
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इसका मूलोद्देश्य यही है कि इसके माध्यम से निष्ठावान्, सेवाभाववाले और निस्स्वार्थ ऐसे समाजसेवक तैयार किए जाएँ, जो अपना सारा जीवन समाजसेवा में लगा दें और उनके जीवन की पाँचों आवश्यकताओं की पूर्ति उन्हीं आश्रमों के माध्यम से हो।
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पति-पत्नी एक दूसरे के सिर पर हाथ रखकर समाज के सामने शपथ लेते हैं, एक आश्वासन देकर अन्तिम प्रतिज्ञा करते हैं कि वे निस्संदेह निश्चित रूप से एक-दूसरे को आजीवन ईमानदार, निष्ठावान् और वफादार रहने का विश्वास दिलाते हैं ।
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पति-पत्नी एक दूसरे के सिर पर हाथ रखकर समाज के सामने शपथ लेते हैं, एक आश्वासन देकर अन्तिम प्रतिज्ञा करते हैं कि वे निस्संदेह निश्चित रूप से एक-दूसरे को आजीवन ईमानदार, निष्ठावान् और वफादार रहने का विश्वास दिलाते हैं ।
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आप अपने कर्तव्य के प्रति चाहे किसी भी सीमा तक निष्ठावान् रहिए और चाहे कितने ही घंटे नित्य परिश्रम कीजिए, लेकिन अपने बॉस और अन्य सहकर्मियों, अपने परिवार और संगी-साथियों तथा अपने शुभचिंतकों और सामान्य मिलने-जुलनेवालों की उपेक्षा कभी मत कीजिएः क्योंकि उन सबकी आपके प्रति राय ही आपके सामाजिक जीवन की दिशा निर्धारित करती है।