आज हम अपने आप को बहुत नीचा मान रहे है क्योकि हमारे देश के नेताओ ने हमे दुनिया के सामने नीचा दिखाया है हूमे अपने उपर शर्म आ रही है की कितने नीच लोग हमारा देश चला रहे है
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ताके आगे से हर महिला इस से कुछ सिख ले सके! और इस तरह से मेरा महिलओसे निवेदन है की वह कोशिश करे की किसी भीड़ का हिस्सा ना बने! क्यूंकि ऐसे नीच लोग उसमे शामिल हो सकते है!
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वह ज् यादातर भठियारों की सोहबत में रहता, क् योंकि त्रिभुवन के असामियों में ऐसे ही नीच लोग होते, जो उससे दस-पाँच रुपए रोजाना सूद की शर्त पर लेते-रुपए कभी न देते, और रोज सूद के पैसे बराबर भरते जाते।
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वो बाप तो मानसिक रोगी होगा उसका इलाज करवा के उसे टॉप के गोले से उड़ा देना चाहिये! पर वो रिश्तेदार भी कम दुराचारी नही हैं जिन्होने लोकलाज के चलते उस लड़की का शोषण होने दिया! अबे पुलिस को नही तो किसी एनजीओ को तो बताते, नीच लोग!!
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” दान देना उधार देने के समान है | देना सीखो क्योंकि जो देता है वह देवता है और जो रखता है वह राक्षक | ज्ञानी तो इशारे से ही देने को तेयार हो जाता है मगर नीच लोग गन्ने की तरह कूटने-पीटने के बाद ही देने को राजी होते है |
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विभूति जी, आज आप जो भी है वो पाठकों की बदौलत हैं वरना आपके आई. पी. एस होने के नाते जो लोहे स्टील आदि के.... आपके इर्द गिर्द हैं, जो आपके इस अपशब्द प्रयोग के पक्ष में तमाम तर्क दे रहे हैं वे अधम नीच लोग आपके रिटायर होते ही किसी दूसरे आई. (पी. एस या ए.स) को पकड़ लेंगे.
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तूने जब धरती पर पहला साँस लिया तब तेरे माँ-बाप तेरे पास थे | अब तेरा फ़र्ज़ है की माता-पिता जब अंतिम सांस ले तब तू उनके पास रहे | “ ” दान देना उधार देने के समान है | देना सीखो क्योंकि जो देता है वह देवता है और जो रखता है वह राक्षक | ज्ञानी तो इशारे से ही देने को तेयार हो जाता है मगर नीच लोग गन्ने की तरह कूटने-पीटने के बाद ही देने को राजी होते है |