शब्दकोशों में पलीद के भी अलग अलग रूप मिलते हैं जैसे पिलीद, पलीद, पलीदीह (सभी पह्लवी) पिलद्दी, पिलद्दा आदि जिसमें नीच व्यक्ति, बहुत गंदी वस्तु, पशुओं का उच्छिष्ट, मैली चीज़, विष्ठा, मल, गंदगी जैसे भाव हैं।
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कृपाराम पर द्वारा लिखित राजिया के नीति सम्बन्धी दोहे | मानै कर निज मीच, पर संपत देखे अपत | निपट दुखी व्है नीच, रीसां बळ-बळ राजिया || नीच व्यक्ति जब दुसरे की सम्पति को देखता है तो उसे अपनी मृत्यु समझता है,इसलिए ऐसा निकृष्ट व्यक्ति मन में जल-जल कर बहु
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इसके अतिरिक्त अच्छे गुणी माता-पिता की अवगुणी संतान, बुरे माता-पिता की अच्छी संतान, उत्तम से उत्तम परिस्थिति में नीच से नीच व्यक्ति और बुरी से बुरी परिस्थिति में भी उत्तम से उत्तम व्यक्ति भला क्यों पैदा हो जाते हैं? फिर अन्त में ये सारा हिसाब-किताब, लेखा-जोखा एकदम समाप्त हो जाता है.
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अध्याय 7 के श्लोक 20 में कहा है कि जिसका सम्बन्ध अध्याय 7 के श्लोक 15 से लगातार है-श्लोक 15 में कहा है कि त्रिगुण माया (जो रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी, तमगुण शिव जी की पूजा तक सीमित हैं तथा इन्हीं से प्राप्त क्षणिक सुख) के द्वारा जिनका ज्ञान हरा जा चुका है एैसे असुर स्वभाव को धारण किए हुए नीच व्यक्ति दुष्कर्म करने वाले मूर्ख मुझे नहीं भजते।