पारदर्शी झीने वस्त्रो से स्तन, नितम्ब, गुप्तांग को झलका कर दिखाना, इन अंगो के गोलाई, नुकीलापन एवं उभार आदि नख-शिख को विशेष रूप से इंगित करते हुए ऐसे चुस्त वस्त्र पहनना जिससे लोगो की दृष्टि सहज ही उन अंगो को देखने के लिए आकर्षित हो जाए, बालो की वेणी न बनाकर उन्हें हवा में लहराते हुए चलना (औरतो को बेहतर मालूम है कि किस अवस्था अर्थात “ राजोकाल ” से निवृत्ति के बाद विशेषतया पति सहवास के समय बालो को खुला रखा जाता है.