हालांकि, बहुत छोटे सुझावों के साथ सुई लोड हो रहा है और डीएनए पहुंचाने में कठिनाई होती है और वृद्धि के लिए नेत्र गोलक के अंदर नीचे तोड़ने का मौका है.
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नतीजा यह है कि नेत्र गोलक में प्रवेश प्रकाश का केन्द्र बिन्दु भी है भी सामने दूर या बहुत दूर नज़र के लिए रेटिना के पीछे के लिए स्वचालित रूप से भरपाई.
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पास की दृष्टि में नेत्र गोलक की लम्बार्इ बढ़ जाती है, जिससे दूर के पदार्थों को देखने में असुविधा रहती हैं दूर की दृष्टि तथा वृद्धावस्था की अल्प दृष्टि में नेत्र-गोलक संकुचित अवस्था में रहते है, जिससे पास की वस्तु को देखना कठिन हो जाता है।
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एक मनुष्य अपने जीवन मे 25 करोड़ बार पलके झपकता है प्रत्येक बार पलके वाइपर की तरह नेत्र गोलक को चिकना व साफ़ करती हैं इनको चिकना बनाए रखने के लिए नेत्र के बाहरी कोने मे स्थित अश्रुग्रन्थियाँ तरल प्रदान करती हैं यह तरल नलिकाओं द्वारा पलक तक पहुंचता हैं।
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की दूरी पर से ऑप्टिक तन्त्रिका नेत्र गोलक से बाहर निकलती है, वह छोटा-सा स्थान दृष्टि-चक्रिका या ऑप्टिक डिस्क कहलाता है और चूँकि यह प्रकाश के प्रति असंवेदनशील होता है इसलिए इसे अन्ध बिन्दु पर बिम्ब न बनने का कारण यह है कि इस स्थान पर रॉड्स एवं कोंस का पूर्णतः अभाव रहता हैं।
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की दूरी पर से ऑप्टिक तन्त्रिका नेत्र गोलक से बाहर निकलती है, वह छोटा-सा स्थान दृष्टि-चक्रिका या ऑप्टिक डिस्क कहलाता है और चूँकि यह प्रकाश के प्रति असंवेदनशील होता है इसलिए इसे अन्ध बिन्दु पर बिम्ब न बनने का कारण यह है कि इस स्थान पर रॉड्स एवं कोंस का पूर्णतः अभाव रहता हैं।
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इन नौ दरवाजों यानी नौ मुख्य इन्द्रियों-मुख, नासिका के दोनों छिद्र, शिश्न, गुदा, दोनों नेत्र गोलक व दोनों कर्ण छिद्र, में अनुशासन, स्वच्छता, तारतम्य स्थापित करने तथा शरीर तंत्र अच्छी तरह क्रियाशील रखने के लिए नौ दिनों तक मनुष्य संयमित जीवन व्यतीत करता है, इसलिए इसे नवरात्र कहते हैं।