| 31. | प्राचीन शिव पंचाक्षरी मंत्र इस प्रकार है-नागेन्द्रहराय त्रिलोचनाय भास्मंगारागाय महेश्वराय नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै ' न'काराय नमः शिवाय ।।1।।
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| 32. | अधिक न बने, तो गायत्री चालीसा पाठ एवं पंचाक्षरी मन्त्र 'ॐ र्भूभुवः स्वः' का जप ही कर लिया करे ।
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| 33. | नभ, महि, शिखी, वायु, और (यमुना) जल = नमः शिवाय (पंचाक्षरी मंत् र...
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| 34. | इसमें यदि ऊँ न प्रयुक्त किया जाये एवं केवल नमः शिवाय उच्चारित किया जाये तो यह पंचाक्षरी मंत्र बन जाता है।
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| 35. | इस पंचाक्षरी मंत्र से ही सम्पूर्ण वेद प्रकट हुआ और स्वयं को भी वेद में प्रकट कर दिया इस ‘पञ्चाक्षरी विद्या ' ने।
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| 36. | श्री बगला के एकाक्षरी, त्रयाक्षरी, चतुराक्षरी, पंचाक्षरी, अष्टाक्षरी, नवाक्षरी, एकादशाक्षरी और षट्त्रिंशदाक्षरी मंत्र विशेष सिद्धिदायक हैं।
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| 37. | इसमें आरम्भ में मत्सर नामक असुर के जन्म की कथा है जिसने दैत्य गुरु शुक्राचार्य से शिव पंचाक्षरी मन्त्र की दीक्षा ली।
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| 38. | बुरे सपने के प्रभाव को दूर करने में शिव पंचाक्षरी मंत्र नमः शिवाय और महामृत्युंजय मंत्र का जप भी लाभप्रद होता है।
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| 39. | इसमें आरम्भ में मत्सर नामक असुर के जन्म की कथा है जिसने दैत्य गुरु शुक्राचार्य से शिव पंचाक्षरी मन्त्र की दीक्षा ली।
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| 40. | पार्वती बहुत दुखी हुईं और उन्होंने शिव जी को प्राप्त करने के लिए पंचाक्षरी नाम जाप के साथ तपस्या करना शुरू किया ।
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