| 31. | उत्साह को आधार मानकर पंडितराज (17वीं शती मध्य) आदि ने अन्य अनेक भेद भी किए हैं।
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| 32. | उत्साह को आधार मानकर पंडितराज (17वीं शती मध्य) आदि ने अन्य अनेक भेद भी किए हैं।
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| 33. | पंडितराज न केवल मार्मिक, सहृदय एवं सूक्ष्म समालोचक ही थे अपितु एक प्रतिभाशाली निसर्ग कवि भी।
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| 34. | पंडितराज न केवल मार्मिक, सहृदय एवं सूक्ष्म समालोचक ही थे अपितु एक प्रतिभाशाली निसर्ग कवि भी।
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| 35. | संस्कृत काव्यशास्त्री पंडितराज जगन्नाथ तो औरंगजेब का दरबारी था और मुस्लिम शहजादी से उसने प्रेम किया था।
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| 36. | आचार्य पंडितराज जगन्नाथ ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ रसगङ्गाधर में भक्ति रस की चर्चा निम्नलिखित शब्दों में की है-
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| 37. | पंडितराज जगन्नाथ कहते हैं, 'रमणीयार्थ-प्रतिपादकः शब्दः काव्यम्' यानि सुंदर अर्थ को प्रकट करने वाली रचना ही काव्य है।
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| 38. | साहित्य सर्जना में लीन पंडितराज जगन्नाथ ने सभी पंडितों का मानमर्दन मेरा ही अन्न-जल ग्रहण कर पूरा किया।
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| 39. | कहीं-कहीं यह भी सुना जाता है कि यवनी और पंडितराज-दोनों ने ही डूबकर प्राण दे दिए।
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| 40. | पंडितराज जगन्नाथ कहते हैं, 'रमणीयार्थ-प्रतिपादकः शब्दः काव्यम्' यानि सुंदर अर्थ को प्रकट करने वाली रचना ही काव्य है।
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