' ' अनवरत ध्यान करो ताकि तुम जल्दी से जल्दी अपने को सर्व-दु: ख-क्लेशमुक्त अनन्त परमतत्त्व के रूप में पहचान सको।
32.
‘ मोक्ष ' का अभिप्राय जन्म-मरण जिसे भवव्याधि कहा गया है, के चक्र से मुक्त होकर परमतत्त्व में एकलय हो जाना है.
33.
इस ऊर्जायुक्त शांति में परमतत्त्व से साधक का साक्षात्कार हो जाता है और वह लोभ-मोह की तीन बेड़ियों से मुक्ति पाकर निर्वाण-मोक्षरूपीआजादी को प्राप्त होता है।
34.
महाप्रभु श्रीमद् वल्लभाचार्य का कथन है कि इन्ही परमतत्त्व को वेदान्त में ' ब्रह्म ' स्मृतियों में ' परमात्मा ' तथा भागवत् में ' भगवान् ' कहा गया है।
35.
हे श्रीरामजी, आप भी विकसित, अज्ञान का त्याग कर रहे अतएव विशुद्ध शान्ति आदि गुणों से शोभित एवं परमतत्त्व के विचार से शीतल बुद्धि से विराजमान है।।
36.
सोचने की बात है कि जब हम समस्त प्राणियों में एक ही परमतत्त्व का प्रकाश अथवा परमात्मा का अंश जीवात्मा पायेंगे तो किसी के प्रति हिंसक कैसे हो सकते हैं।
37.
सोचने की बात है कि जब हम समस्त प्राणियों में एक ही परमतत्त्व का प्रकाश अथवा परमात्मा का अंश जीवात्मा पायेंगे तो किसी के प्रति हिंसक कैसे हो सकते हैं।
38.
हेय और उपादेय से जो कोई यज्ञ-याग आदि कार्य हैं और जो कोई प्रमाण, प्रमेय आदि व्यवहार हैं, वे सब परमतत्त्व के ज्ञात होने पर क्षीण हो जाते हैं।।
39.
भारतीय ब्रह्म के विचार की तुलना मेंपश्चिमी दर्शन में परमतत्त्व (आब्सोलुटे) या ब्रह्म का विचार शुद्ध चेतनाका नहीं, इस विचार के अनुसार परम तत्त्व में हम मनुष्यों के विविध अनुभवभी सम्मिलित है.
40.
भगवान् इस श्लोक में कहते हैं कि जो भी मनुष्य संसार में इस परमतत्त्व की अभिव्यक्ति और उसकी कार्यप्रणाली को भलीभाँति समझ लेता है, वह एक विशिष्ट दृष्टि से संपन्न हो जाता है।