पश्चिम की जीवन शैली और प्रकृति से संघर्ष के यथार्थ ने उसके चुनाव को प्रभावित किया और उसने जीवन को ही जीवन का लक्ष्य माना | इस एक चुनाव से सारी चीजें बदल जाती हैं | यदि जीवन ही परम ध्येय है तो जीवों कि सेवा में जीवन की सार्थकता और बुद्धि जीवन को बचाए रखने का सर्वोत्तम यंत्र ठहरती है |
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मनुष्य के जीवन का परम ध्येय होता है स्वयं के विषय में जानना, जीवन में किये गए हर एक कर्म का उद्देश्य भी यही होता है, हर किसी को इस का अनुभव है की उसने जीवन में जो इच्छा की वो पूरी नहीं हुई, जिस भी चीज़ को उसने चाहा वो उसे उस रूप में नहीं मिली इसी चलते हर कोई कुंठा की भावना का शिकार है, हर कोई नाराज़ है पर उसे कोई मिलता नहीं जिस पर वास्तविक रूप से नाराज़ हुआ जाए क्यूंकि कोई दोषी भी नहीं दीखता.