वह इन अमुल्य तत्वों का ज्ञाता बन जाता है और उसी रूप के रूप को पाता है सभी के लिए वह परम श्रेष्ठ हो जाता है.
32.
) सम्पूर्ण भूतों में सम देखता है और सुख अथवा दुःख को भी सबमें सम देखता है, वह योगी परम श्रेष्ठ माना गया है॥ 32 ॥
33.
सत्य पर ही लोक का व्यवहार टिका है और सत्य में ही ब्रह्म प्रतिष्ठित है, इसीलिए सत्यस्वरूप भगवान् सत्यनारायण का व्रत परम श्रेष्ठ कहा गया है।
34.
) सम्पूर्ण भूतों में सम देखता है और सुख अथवा दुःख को भी सबमें सम देखता है, वह योगी परम श्रेष्ठ माना गया है॥ 32 ॥
35.
पूछिये वह कैसे? नहीं मालूम न? दैत्यराज बलि का नाम सुना है?, महादानी, परम श्रेष्ठ इन्सान, विष्णु भक्त, प्रजा को अति प्रिय ।
36.
) सम्पूर्ण भूतों में सम देखता है और सुख अथवा दुःख को भी सबमें सम देखता है, वह योगी परम श्रेष्ठ माना गया है॥32॥ (मन के निग्रह का विषय)
37.
' हे अर्जुन! जो योगी अपनी भाँति सम्पूर्ण भूतों में सम देखता है और सुख अथवा दुःख को भी सबमें सम देखता है वह योगी परम श्रेष्ठ माना गया है।
38.
जो गायत्री नहीं जानता, ऐसा व्यक्ति ब्राह्मणत्व से च्युत और पापयुक्त हो जाता हे पाराशर जी कहते हैं-‘ समस्त जप सूक्तों तथा वेद मन्त्रों में गायत्री मन्त्र परम श्रेष्ठ है।
39.
“ वह देश धन्य है, वह कुटुम्ब धन्य है तथा वे माता-पिता धन्य है, जहाँ साईबाबा के रुप में यह असाधारण परम श्रेष्ठ, अनमोल विशुद्ध रत्न उत्पन्न हुआ । ”
40.
श्रद्धावान्भजते यो मां स मे युक्ततमो मतः ॥ भावार्थ: सम्पूर्ण योगियों में भी जो श्रद्धावान योगी मुझमें लगे हुए अन्तरात्मा से मुझको निरन्तर भजता है, वह योगी मुझे परम श्रेष्ठ मान्य है॥ 47 ॥