यह परस्पर का आश्रय या जिसे भारतीय तर्कशास्त्र में अन्योन्याश्रय कहा जाता है, भारत की जनता को इस बात की पक्की गारंटी है कि मोदी कभी तानाशाह नहीं बन सकते, जैसे कि हमारे मोदी-विरोधी नेता और पर्यवेक्षक संदेह व्यक्त करते हैं।
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भारत का अर्धनारीश्वर का दर्शन, स्त्री-पुरुष की परस्परपूरकता एवं एकनिष्ठता, विवाह तथा परिवार की पवित्रता एवं परस्पर का अटूट विश्वास किसी भी पश्चिमी यौन आँधी से भारतीय नारी को उसके अधिकार तथा स्वतन्त्रता के साथ उसकी यौन-शुचिता को भी बनाये रखेगी।
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श्री सीताजी और श्री रामजी का आपस में एक-दूसरे को देखना तथा उनका परस्पर का प्रेम किसी को लख नहीं पड़ रहा है, जो बात श्रेष्ठ मन, बुद्धि और वाणी से भी परे है, उसे कवि क्यों कर प्रकट करे? ॥ 2 ॥
34.
देखो हम भविष्यबानी कहते हैं तुम रोते और सिर टकराते भागते भागते फिरोगे, बुद्धि सीखते ही नहीं, बल नाश हो चुका है एक केवल धन बचा है सो भी सब निकल जायगा, यहाँ महंगी पड़ेगी, पानी न बरसेगा, हैजा डैंगू वगैरह नए नए रोग फैलेंगे, परस्पर का द्वेष और निंदा करना तुम्हारा स्वभाव हो जायगा, आलस छा जायगी, तब तुम उसके कोप अग्नि से जल के खाक के सिवा कुछ न बचोगे।
35.
तन्मयता के कारण भ्रम या आत्मविस्मृति घटती है और आत्मविस्मृति की अवस्था में परस्पर का सुख वधन करने की वर्धमान चरम उत्कण्ठा के कारण उनकी स्वाभाविक चेष्टाओं का अनजाने वैपरीत्य घटता है, अर्थात कान्ता का भाव और आचरण कान्त में, और कान्त का भाव और आचरण कान्ता में सञ्चारित होता है, जैसे साधारण रूप से कृष्ण वंशी बजाते हैं और राधा नृत्य करती हैं, पर विहार-वैपरीत्य में राधा वंशी बजाती हैं, कृष्ण नृत्य करते हैं।
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देखो हम भविष्यबानी कहते हैं तुम रोते और सिर टकराते भागते भागते फिरोगे, बुद्धि सीखते ही नहीं, बल नाश हो चुका है एक केवल धन बचा है सो भी सब निकल जायगा, यहाँ महंगी पड़ेगी, पानी न बरसेगा, हैजा डैंगू वगैरह नए नए रोग फैलेंगे, परस्पर का द्वेष और निंदा करना तुम्हारा स्वभाव हो जायगा, आलस छा जायगी, तब तुम उसके कोप अग्नि से जल के खाक के सिवा कुछ न बचोगे।
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इसीलिए कि जो राष्ट्र चला सकते थे, उन्होंने कभी ‘ प्रथम प्रहार नहीं ' का झूठा आश्वासन नहीं दिया | सभी परमाणु-शक्तियाँ प्रथम प्रहार के लिए तैयार दिखाई पड़ती थीं | भय और सतर्कता दोनों ही पराकाष्ठा पर थे, इसीलिए परस्पर का समान भय सबको रोके रहा | यह नहीं हो सकता कि दो प्रतिद्वंद्वियों में से एक इस सिद्घांत को माने और दूसरा न माने | यथास्थिति या शांति तभी बनी रह सकती है कि जबकि दोनों किसी परमाणु सिद्घांत को एक साथ मानें या एक साथ न मानें |