[12] डॉर्किन के एक लंबे समय से वकालत की गई है जिसका लाइनों समर्थन के रूप में वह दृढ़ता से संघीय सरकार में न्यायिक समीक्षा का परिष्कृत संस्करण के साथ जुड़े देखता संविधान की नैतिक पढ़ने के सिद्धां त.
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यह युद्धबंदियों का मनोबल, आशाएं और आपसी भरोसा तोडने के लिये सेनाओं द्वारा आज़माई गई मानसिक विकृतियाँ पैदा करने वाली मनोवैज्ञानिक विधियों का परिष्कृत संस्करण है-कैदी के आत्महत्या के और मानसिक रोगी होने के हालात पैदा करने के तरीके जिनका खुल्लेआम मास्स इम्पिमेंटेशन या बहुल कार्यान्वयन किया जा रहा है.
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यह युद्धबंदियों का मनोबल, आशाएं और आपसी भरोसा तोडने के लिये सेनाओं द्वारा आज़माई गई मानसिक विकृतियाँ पैदा करने वाली मनोवैज्ञानिक विधियों का परिष्कृत संस्करण है-कैदी के आत्महत्या के और मानसिक रोगी होने के हालात पैदा करने के तरीके जिनका खुल्लेआम मास्स इम्पिमेंटेशन या बहुल कार्यान्वयन किया जा रहा है.
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यह युद्धबंदियों का मनोबल, आशाएं और आपसी भरोसा तोडने के लिये सेनाओं द्वारा आज़माई गई मानसिक विकृतियाँ पैदा करने वाली मनोवैज्ञानिक विधियों का परिष्कृत संस्करण है-कैदी के आत्महत्या के और मानसिक रोगी होने के हालात पैदा करने के तरीके जिनका खुल्लेआम मास्स इम्पिमेंटेशन या बहुल कार्यान्वयन किया जा रहा है.
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अंततः, जब गिलियम ने फिल्म का निजी प्रदर्शन (बिना स्टूडियो की आज्ञा के) कर लिया, और ब्राज़ील को लॉस एंजेल्स फिल्म क्रिटिक एसोसिएशन द्वारा “सर्वश्रेष्ठ फिल्म” का पुरस्कार मिला, जिसने युनिवर्सल को 1985 में गिलियम द्वारा निरीक्षित, 131 मिनट वाले एक परिष्कृत संस्करण को जारी करने की अनुमति देने के लिया प्रेरित किया.
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अंततः, जब गिलियम ने फिल्म का निजी प्रदर्शन (बिना स्टूडियो की आज्ञा के) कर लिया, और ब्राज़ील को लॉस एंजेल्स फिल्म क्रिटिक एसोसिएशन द्वारा “सर्वश्रेष्ठ फिल्म” का पुरस्कार मिला, जिसने युनिवर्सल को 1985 में गिलियम द्वारा निरीक्षित, 131 मिनट वाले एक परिष्कृत संस्करण को जारी करने की अनुमति देने के लिया प्रेरित किया.[1][14]
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अंततः, जब गिलियम ने फिल्म का निजी प्रदर्शन (बिना स्टूडियो की आज्ञा के) कर लिया, और ब्राज़ील को लॉस एंजेल्स फिल्म क्रिटिक एसोसिएशन द्वारा “सर्वश्रेष्ठ फिल्म” का पुरस्कार मिला, जिसने युनिवर्सल को 1985 में गिलियम द्वारा निरीक्षित, 131 मिनट वाले एक परिष्कृत संस्करण को जारी करने की अनुमति देने के लिया प्रेरित किया.[1] [14]
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यह युद्धबंदियों का मनोबल, आशाएं और आपसी भरोसा तोडने के लिये सेनाओं द्वारा आज़माई गई मानसिक विकृतियाँ पैदा करने वाली मनोवैज्ञानिक विधियों का परिष्कृत संस्करण है-कैदी के आत्महत्या के और मानसिक रोगी होने के हालात पैदा करने के तरीके जिनका खुल्लेआम मास्स इम्पिमेंटेशन या बहुल कार्यान्वयन किया जा रहा है.
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अपने प्रतिद्वंद्वी क्षेत्र युद्धाभ्यास के दौरान हमलावर उसकी सांस पकड़ है, तो यह परंपरागत है कि खिलाड़ी लगातार दिखा जो साँस नहीं ले रहा है अपने शिविर में लौटने से पहले का एक तरीका के रूप में शब्द “कबड्डी” दोहराना. “पुलिस पुलिस का यह परिष्कृत संस्करण हिस्पैनिक चरणों को आकर्षित कर रहा है पंजाब कप, +२२,००० से 25,000 दर्शकों के एक औसत के अनुसार, प्रशंसकों