| 31. | पर्णहरित प्रकाश ऊर्जा द्वारा इलेक्ट्रॉन निकालता है, जिसके द्वारा यौगिकों के अपचयन में ऊर्जा प्राप्त होती है।
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| 32. | इनमें पर्णहरित विद्यमान रहता है, इसलिए प्रकाशसंश्लेष की विधि से ये अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं।
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| 33. | पर्णहरित प्रकाश ऊर्जा द्वारा इलेक्ट्रॉन निकालता है, जिसके द्वारा यौगिकों के अपचयन में ऊर्जा प्राप्त होती है।
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| 34. | पर्णहरित प्रकाश ऊर्जा द्वारा इलेक्ट्रॉन निकालता है, जिसके द्वारा यौगिकों के अपचयन में ऊर्जा प्राप्त होती है।
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| 35. | इनमें पर्णहरित विद्यमान रहता है, इसलिए प्रकाशसंश्लेष की विधि से ये अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं।
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| 36. | इससे तथा जल से मिलकर पर्णहरित की उपस्थिति में प्रकाश की सहायता से पौधे का भोजननिर्माण होता है।
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| 37. | ये पौधे निम्न श्रेणी के होते हैं, जिनमें पर्णहरित (chlorophyll) पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
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| 38. | जो क्रिप्टोगैम पर्णहरित रहित हैं, उन वर्गों के नाम: जीवाणु अथवा बैक्टीरिया (Bacteria), वाइरस और कवक (Fungi) हैं।
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| 39. | विल्सटाटर और स्टॉल (Wilistatter and Stoll) ने शैवालों में पर्णहरित और अन्य रंगीन पदार्थों की उपस्थिति बतइलाई।
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| 40. | शुरू में कुछ समुद्री पौधे, फिर पर्णहरित, पर्णगौद्भिद और अंत में अनावृतबीजी पौधों का जन्म हुआ है।
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