पवन वेग से आकर विवेकानन्द जैसे राष्ट्र नायकों ने इन कलंक रूपी बादलों को छिन्न-भिन्न कर दिया और संस्कृति का सूर्य पुन: प्रकाशवान, ऊर्जावान होकर चमकने लगा ।
32.
बहुत अधिक जानकारी तो नहीं मिल पाई पर गाने अच्छे सुनवाए गए जैसे-ओ पवन वेग से उड़ने वाले घोड़ेन किसी की आँख का नूर हूँवैसे भी इस संगीतकार के सभी गीत अच्छे है।
33.
मैने सोचा आज अगर मै गिरा भी दिया जाऊँ इस पवन वेग से तो तो यह एक प्राकृतिक मौत होगी इन मनुष्यों के द्वारा झुलस-झुलस कर मरने से तो काफी अच्छा होगा-तृप्त हो मरूँगा ।
34.
ग्रा. की वैक्युम इन्डक्शन फनेंस स्क्रैनिंग इलैक्ट्रान माइस्क्रोप संक्षारणमापन पद्धति सहित एक्स-रे फ्लरोसीन स्पेक्ट्रोमीटर प्रेसीजन यूनिवर्सल और डाइनेमिकटेस्टिंग मशीनें, स्ट्रेस रूपचर मशीनें, सोफिस्टिकेटिड डिलैटोमीटर और वीडियो कैसेटरिकार्डर सहित लेंसर डॉपलर पवन वेग मापी पद्धति, लार्ज कम्प्यूटर पद्धति आदि.
35.
फिर आगे कोई रास्ता ढूंढा जाएगा. उदालका तैयार हो गयी. उसी समय भगवान राम के आदेश से मुद्रिका लेकर भगवान सूर्य के शिष्य बली हनुमान जी पवन वेग से लंका की तरफ जा रहे थे.
36.
कुछ जाने-पहचाने गीत जो इस राग पर आधारित हैं-“अखियन संग अखियाँ लागी आज” (बड़ा आदमी), “आये सुर के पंछी आये” (सुर संगम), “ओ पवन वेग से उड़ने वाले घोड़े” (जय चित्तौड़), “दीप जलाये जो गीतों के मैंने”
37.
(एक और बात बताना चाहूंगा अभी मेरे कम् प् यूटर के स् पीकर में लता जी का गाना ओ पवन वेग से उड़ने वाले घोड़े बज रहा है आपने सुना है कि नहीं ये गीत नहीं सुना हो तो ज़रूर सुनना)
38.
जन्म के समय नन्हे शिशु को क्षुधापीड़ित देखकर माता अंजना वन से कंद, मूल, फल आदि लेने चली गईं, उधर सूर्योदय के अरुण बिम्ब को फल समझकर बालक हनुमान ने छलांग लगाई और पवन वेग से सूर्यमंडल के पास जा पहंुचे।
39.
ढूंढता हूँ खुद में खुद को, खोया सा हूँ न जाने कहाँ...खुद ही उत्सुक नयी आकाँक्षाओं को लिए,खुद ही बेबस अपनी अकर्मण्यता से..........रेत के खुबसूरत महल की भांति,मगर पवन वेग न सह पाए...........बांस सा सशक्त मगर खोखला...अंधेरो में आँखें मूदकर चलता हुआ सा,उमीदों के भंवर में डूबता हुआ स...
40.
घोड़े ने कहा-घबराओ मत! मेरी पीठ पर बैठ जाओ, मै तुम्हे पवन वेग से अभी वहाँ लिए चलता हूँ! मनुष्य घोड़े की पीठ पर बैठा और बात की बात में आगे घने जंगल में पहुँच गया! घोड़े की पीठ पर हुई आनन्द मयी यात्रा ने मनुष्य के मन को जैसे मोह लिया था!