हिंदी के एक और अद्वितीय कवि शमशेर बहादुर सिंह ने लिखा था कि यह कविता ‘ देश के आधुनिक जन-इतिहास का, स्वतंत्रता के पूर्व और पश्चात् का एक दहकता दस्तावेज़ है.
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तीसरे फरमान के पश्चात् का कोई अन्य फरमान भेजा गया, ऐसा प्रतीत नहीं होता हैं इसका यह तात्पर्य नहीं कि राजा जयसिंह के व्यवहार में परिवर्तन आ गया था अपितु मात्र इतना है कि सन् १ ६ ३ ७-३ ८ में जो संगमरमर पहुँचा उस पर कुरान लिखी गई एवं संगमरमर का काम कुरान लेखन के साथ ही सन् १ ६ ३ ९ ई. में समाप्त हो गया था।