सूरज, अनुभव बताता है, अगर अपने साथी मानव आप जल्द ही मानवता को भी मिलना पसीजना आज, धूप में बर्फ की तरह प्रतीत होता है सामान्य लोगों के बीच तनाव के रूप में गायब हो चमकता है!
32.
उसके आवेगों के सावन में इसका प्लावित होना इसकी पीड़ा की गर्द से उसका ह्रदय पसीजना यदि प्रतीक है सच्चे प्रेम का तो इनका मिलना क्षितिज की सूक्ष्मता में पूर्ण कैसे? पर शायद... स्थूल नहीं होता संबंधों की पूर्णता का पर्याय मन के बंधे लोग साथ साथ चल सकते हैं समानांतर रेखाओं पर नदी के दो किनारों की तरह बातें करते लहरों की ध्वनि प्रतिध्वनि में सांस ले सकते हैं युगों तक एकसाथ धरती और आकाश की तरह.... जया पाठक (१९९९)
33.
वक्त कि नजाकत कब समझती है, झूम उठी...मिट गया सब कुछ..फिर देखा था उसे मूह लटकाए उन पर्वतों कि तरफ जाते हुए...जहां कुछ किंकर पैरो में चुभे कुछ कांटो ने दामन को चीरा मगर फिर भी झाडों से इलझते उलझते वो पहुँच गयी है उन बादलो के बहुत करीब...जो न जाने कितने दिन से नहीं बरसे मगर उन आँखों में एक झुलसती हुई धूंप देखकर बादल को पसीजना था....मगर वह भी एक गुब्बार सीने में दबाए रह गया जैसे!
34.
वे देश के भविष्य से खेलते रहे-संविधानो-कानूनों, न्याय और प्रगति के नाम पर आधी आबादी के भाग्य का फैसला सुनाते रहे, परदे के पीछे से घिनौना खेल खेलते रहे-पूरा देश देखता रह गया-न्याय की लम्बी लड़ाई और दोषियों को सजा दिलाने के लिए सविधान के पृष्ठ खंगाले जातेरहे-महिलाओं ने खुद को ठगा सा महसूस किया लेकिन उन नर पिशाचों का ह्रदय न पसीजना था न पसीजा,--क्या हम आदिम युग की और बढ़ रहे हैं?..