स् वामी विवेकानन् द ने कहा था कि जब आप स् वयं को गाली देते हैं तो आप उन् नति के पहले चरण पर पग धरते हैं, लेकिन जब आप अपने पुरखों को गाली देते हैं तो आपका अवनति के पथ पर यह पहला पग होता है ।
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जिसकी गीता साबित कर दे कि सही किया, जो कुछ भी उसने कियायही था एक मात्र उचित विकल्पमगर हर क्षण उसकी निगाहों के सामनेछा जाती थी उस नवयौवना की सूरतअपनी लाश पर चढ़े बिनाछूने नहीं दिया जिसने‘कलिंग का भाल'दुःख और क्षोभ से भराअशोकबेबस हो उठालौट पड़ा अपने शिविर की ओरमगर तभी,उसके अश्व ने पहला पग उठाया था उसी वक्तपीछे से आई व्यंग्य भरी आवाज-‘भाग रहा है भगोड़ा'‘कौन है?'
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सप्तपदी में पहला पग भोजन व्यवस्था के लिए, दूसरा शक्ति संचय, आहार तथा संयम के लिए, तीसरा धन की प्रबंध व्यवस्था हेतु, चौथा आत्मिक सुख के लिए, पाँचवाँ पशुधन संपदा हेतु, छटा सभी ऋतुओं में उचित रहन-सहन के लिए तथा अंतिम सातवें पग में कन्या अपने पति का अनुगमन करते हुए सदैव साथ चलने का वचन लेती है तथा सहर्ष जीवन पर्यंत पति के प्रत्येक कार्य में सहयोग देने की प्रतिज्ञा करती है।
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जिसकी गीता साबित कर दे कि सही किया, जो कुछ भी उसने किया यही था एक मात्र उचित विकल्प मगर हर क्षण उसकी निगाहों के सामने छा जाती थी उस नवयौवना की सूरत अपनी लाश पर चढ़े बिना छूने नहीं दिया जिसने ‘कलिंग का भाल' दुःख और क्षोभ से भरा अशोक बेबस हो उठा लौट पड़ा अपने शिविर की ओर मगर तभी, उसके अश्व ने पहला पग उठाया था उसी वक्त पीछे से आई व्यंग्य भरी आवाज-‘भाग रहा है भगोड़ा' ‘कौन है?' वह पलटा ‘तो क्या समाप्त नहीं हुआ युद्ध?' ‘अब भी बचे रह गये हैं विपक्षी सैनिक?'