आज तो तेरे छोरे नै घणे ही चाल्लै पाड दिये! भाई तूने तेरे छोरे को इतना पढा लिखा कै पांचवीं फ़ेल करवा राख्या था तो आज गाम की इज्जत रह गी! नही तो आज घणा नीचा देखणा पडता!
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मिस टेढी के एक और हुनर से हम आपको आज रूबरू करवा रहे हैं...वो एक महान और प्रख्यात गायिका भी हैं सो उनकी रचना का आनंद आप स्वयं उनकी आवाज में भी ले सकते हैं, नीचे उनका पाड कास्ट भी लगाया है.
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अब तो ताऊ घणा ही छोह म्ह आगया और चिल्लाकर हैडमास्टर को बुलवाया और नु बोल्या-अरे हैड मास्टर यो के रासा रोप राख्या सै? मानीटर नकली, मास्टर नकली...ना तू तो यो बता, के यो के चाल्हा पाड राख्या सै तन्नै आडै?
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मेरी बुद्धिमान, स्वचालित एरान चेयर (जिसे काश! मैने न खरीदा होता) किचन का मिक्सर-(मेरा सर दर्द) और वह मेडिकोटेड इन्टेलीजेन्ट कम्बल-लाइफ ब्लेब, इन तीनों ने आई-पाड (इन्फार्मेश पाड, के साथ ” ब्लेब ' बना लिया था।
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इब तो ताऊ को रोज का फ़ार्मुला हाथ लग गया और स्कूल से सीधे घर और वहां से रोटे सोटे पाड कै सीधे गिल्ली डन्डा खेलने चला जाता! ताऊ की तो मौज हो गई! घणे दिन हो लिये और मास्टर घणा परेशान हो लिया इस ऊत ताऊ से!
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आरंभ म पढ़ें:-कोया पाड: बस्तर बैंड गांव के महमहई फरा सिक्किम पर रे की फिल्म से 40 साल से लगी रोक हटी सत्यजीत रे भले ही भारत के सबसे मशहूर फिल्मकारों में से एक हैं, लेकिन भारत सरकार ने सिक्किम पर उनकी बनाई हुई दस्तावेजी फिल्म 1971 में प्रतिबंधित कर दी थी।
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आरंभ में पढ़ें:-कोया पाड: बस्तर बैंड गांव के महमहई फरा ललित शर्मा जी के वेब पोर्टल ललित कला डाट इन का लोकार्पण: चित्रों के साथ रिपोर्टिंग ललित शर्मा जी के वेब पोर्टल ललित कला डाट इन का लोकार्पण छत्तीसगढ़ के यशश्वी मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह नें आज प्रात: मुख्यमंत्री निवास में किया।
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मेरे लडके भी ऎसा करते हे, कई बार गुस्सा करता हुं, आई पाड हर समय कानो से लगा रहता हे, एक खराब होगया तो मोबाईल जिन्दा वाद, मुझे कोई इलाज बताये तो मान जाऊ, गुस्सा करता हुं तो बाद मे तरस आता हे, नुकसान हे लेकिन कहां सुनते हे यह बच्चे
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आरंभ म पढ़ें:-कोया पाड: बस्तर बैंड गांव के महमहई फरा मुख्य न्यायधीश की पहल से सुधरेंगे न्यायालयों के हालात: शकील अहमद सिद्दीकी देश के मुख्य न्यायाधीश सरोश होमीदाजी कपाडिया ने देश के तमाम न्यायालयों में कार्यरत न्यायधीशों एवं अधिवक्ताओं के हितों और सुविधाओं पर संवेदनशीलता दिखाकर विधिक जगत के लिए एक ऐतिहासिक पहल की है।
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अब लडकी अनपढ थी. ससुराल मे सबसे तू तडाक से बात करती थी. ताऊ को सीधे ही..ओ ताऊ..चल रोटे पाड ले..घणी देर तैं ठण्डे हो रे सैं….बात तो ताऊ को चुभती थी..कि ये मुझे पिताजी क्यों नही पुकारती? पर ताऊ बोले तो किसको बोले? और ताई को पहले ही दिन कुछ युं बुलाया-अरे ओ बुढिया..