संघ-नाव पर बैठकर, मोदी और बघेल | सालों शाखा में गए, खेले संघी खेल | खेले संघी खेल, 'कुरसिया' लगे खेलने | कांगरेस-पापड़ा, बघेला बड़े बेलने | करत नजर-अंदाज, 'माम' नाराज दाँव-पर | सी एम् पद की दाल, गले न संघ नाव पर ||
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इसे हिन्दी में ढाक, टेसू, केसू, खाकरा ; संस्कृत में-पलाश, किंशुक, सुपर्णी, ब्रह्मवृक्ष, उर्दू में-पलास पापड़ा ; तेलगू में-मोदूगा पलाश, मातुका टट्टू, तेल मोदुग ; बंगाली में-पलाश गाछ ; गुजराती में-खाकरा ; तमिल में-पुगु, कतुमुसक, किन्जुल आदि नामों से पुकारते है।
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हम जब बच्चे थे तो खूब खेला करते थे ऊँच-नीच का पापड़ा, मारम पिट्टी, खो खो, छुपम छुपायी और हाँ सबका पसंदीदा पाला मुझे ठीक से याद है मेरी दसवीं क्लास की परीक्षा थी फिर भी हम हर शाम को सब दोस्त मिलकर खेला करते थे, मम्मी बहुत मना करती डराती फेल हो जाओगे पड़ लो, लेकिन नहीं हम कहाँ सुनाने वाले थे...
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इस के अलावा इसे कान्जो, वाओला, कांजू, बन चिल्ला, चिलबिल, सिलबिल, धाम्ना, बेगाना, थावासी, रसबीज, कालाद्रि, निलावही (कन्नड़), आवल (मलायलम), वावली पापड़ा (मराठी), दौरंजा, टुरुंडा (उड़िया), राजैन, खुलैन, अर्जन (पंजाबी), चिरबिल्व (संस्कृत) अया, अविल, काँची, वेलैया (तमिल), तथा थापासी, नेमाली, पेडानेविली (तेलगू) नामों से जाना जाता है।