कहीं किसी दुराचारी पापाचारी से व्यवहार में काम पड़े तो उससे इसी प्रकार मिलो जैसे पाखाने में जाते हो-काम किया और हटे-वहाँ अधिक रुकने की आवश्यकता नहीं।
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पण्डित जयदेव शर्मा के शब्दों में-वे लोक अर्थात् मनुष्य असुर कहाने योग्य केवल अपने प्राण को पोषण करने वाले पापाचारी हैं, जो अन्धकार रूप आत्मा से ढक लेने वाले तमोगुण से ढंके हैं।
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पण्डित जयदेव शर्मा के शब्दों में-वे लोक अर्थात् मनुष्य असुर कहाने योग्य केवल अपने प्राण को पोषण करने वाले पापाचारी हैं, जो अन्धकार रूप आत्मा से ढक लेने वाले तमोगुण से ढंके हैं।
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यह कैसे संभव हो सकता है? वह व्यक्ति जो हमारी नजर में अपराधी है, भ्रष्ट है, दुराचारी और पापाचारी है, हमारे ही मतों और समर्थन से कैसे जीत सकता है? मुझे नहीं समझ में आ रहा है?
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किन्तु वर्त्तमान निकृष्ट एवं पापाचारी कुकुरमुत्तों की तरह उग आये तथाकथित ज्योतिषाचार्यों ने अपनी पाप पूर्ण निकृष्ट बुद्धि, आलस्य एवं श्रम के भय से निर्धारित किन्तु जटिल सिद्धांतो की उपेक्षा करते हुए हर व्यक्ति, वस्तु एवं स्थान के लिए एक ही सिद्धांत सामान्य रूप से लागू कर रखा है।
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सामने पापाचारी और दुष्ट भ्रष्टाचारी, व्यभिचारी, दुराचारी, लुटेरे खड़े हों तथा लोगों को लूट खसोट करने में लगे हों, यह सब करते हुए लज्जा शर्म नहीं आती हो, बुरे कार्य करके भी इतराते हों तब ऐसी दशा में गीता कि इस किरण को गूंजायमान कर दिया जाए।
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वीडुहरास्तप उग्रं = इस उग्र पापाचारी शक्ति को हरने के लिए ‘ उन की गर्मी ' को ठन्डा करने के लिए मयोभूरापो = जल की शीतलता जैसे गुणों से संसार मे सुख प्रदान करने के लिए (उग्र हिंसक वृत्ति की दावानल जैसी पापाचारी अग्नि रूप शक्तियों को जल से शान्त कर करने के लिए) परमेश्वर ने देवी: प्रथमजा प्रथम मे कन्या girl child रूपि देवी को बनाया.
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वीडुहरास्तप उग्रं = इस उग्र पापाचारी शक्ति को हरने के लिए ‘ उन की गर्मी ' को ठन्डा करने के लिए मयोभूरापो = जल की शीतलता जैसे गुणों से संसार मे सुख प्रदान करने के लिए (उग्र हिंसक वृत्ति की दावानल जैसी पापाचारी अग्नि रूप शक्तियों को जल से शान्त कर करने के लिए) परमेश्वर ने देवी: प्रथमजा प्रथम मे कन्या girl child रूपि देवी को बनाया.