न वह जलती हुई मोमबत्ती है और न पिघलता हुआ मोम, आज की नारी उन्नति की ऐसी शिला है जिसके सहयोग से समाज का नया रूप खिला है!
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पिघलता हुआ ह्रदय-तुहिना एक आभास हमने कैद किया है किरणों को अपने बुलंद इरादों से जग को हतप्रभ कराने में बस इतना ही अब बाकी है-हमको सूरज बन जाना है ।
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क्यों था वह! इस मेले में! टिकट की लाइन में, धक्का खाते स्टॉलों पर, झुमके बालियों के काउंटरों पर भले ही पीछे की तरफ खड़ा, और अभी आइसक्रीम के इंतजार में पिघलता हुआ सा।
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वो गालियाँ देते हैं, आम लोगों को डराते धमकाते हैं, किसी को कुछ भी बोल देते हैं, ऐसे ऐसे शब्द इस्तेमाल करते हैं की कान मैं पिघलता हुआ शीशा उडेल दिया हो, वो किन्नर हैं.
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वो गालियाँ देते हैं, आम लोगों को डराते धमकाते हैं, किसी को कुछ भी बोल देते हैं, ऐसे ऐसे शब्द इस्तेमाल करते हैं की कान मैं पिघलता हुआ शीशा उडेल दिया हो, वो किन्नर हैं.
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सेक्स की शिक्षा देना चाहते हैं तो इसमें ये बताने की क्या जरूरत है कि कौन पहले लेटे और कौन बाद में, कौन कपड़े खोलने की पहल करे और कौन इंतजार करे, कौन बर्फ के टुकड़े को पिघलाए और कौन पिघलता हुआ देखे.
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उम्मीद से है दरख़्त अब ठहरा हुआ आसमान गहराती हुई पृथ्वी सबकुछ बिखरता हुआ पिघलता हुआ बर्फ हम कहाँ और कैसे ठहरे सवाल ही रहा ऐसी उफान नदियों में कि सूखती रही उम्मीद लहरों के संग जंग में सियासत या सियासत में जंग बदल रहा...
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किसे कहें बेईमान अब तो यही सोचना पड़ता है, जब से ईमान के सौदे में ईमान को ही ईमान बदलते देखा है, सूरज भी मोम कि तरह पिघलता हुआ नजर आता है अब, और चाँद को भी आजकल आग उगलते देखा है,
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शालू मेरे चूतड़ दबा रही थी और अचानक उसकी ज़बान मेरी चूत के छेद में घुस पड़ी तो ऐसा लगा जैसे गरम पिघलता हुआ लोहा मेरी चूत में घुस गया हो, मैं चिल्ला पड़ी उसकी चूत से झूम कर-आ..ऐ..ई..ए.. मा..अ मर जा..ऊँ..गी.. ना.. आ..अ..हि शलु अर्रर्रर्ररे..
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लावा बनकर बह रहा है पिघलता हुआ दर्द, जिसकी पीड़ा का इज़हार कितनी सुंदरता से किया है महावीर जी ने अपने पीड़ित मन के शब्द सुरा से “हंसते खेलते एक साल बीत गया, इतनी कशमकश भरे जीवन में अब आयु ने भी शरीर से खिलवाड़ करना शुरू कर दिया था.”