जब मुख्य मुख्य देवता और दानव अमृत की प्राप्ति के लिए क्षीरसागर को मथ रहे थे, तब भगवान् ने कच्छप के रूप में अपनी पीठपर मंदराचल धारण किया।
32.
देखो, हमें गिलहरीकी पीठपर निशान दिखाई देते हैं ना! प्रभु श्रीरामने गिलहरीसे कहा, ` जो कोई तुम्हारे जैसी सेवा करेगा, उसपर हमेशा मेरी कृपा बनी रहेगी ।
33.
छोड़ देना कड़ा पिछाड़ी पट पागल प्रदर्शन करना गुस्सा स्नान-घर पद टकराना सूचना देना पीछे का भाग टिन प्लेट मूल शौचालय शौचघर बेवकूफ़ रंडीबाज़ पिछला भाग बोरा पायदान तक जाना खच्चर पीठपर लफंगा तख्त नितंब नींव पट्ठा
34.
(मुख चारों वेदों से सुशोभित, पीठपर शरों सहित धनुष, एक ओर तो ब्राह्मण-तेज रूपी शास्त्र और दूसरी ओर क्षत्रियोचित शस्त्र)-यह श्लोक आज के ब्राह्मणों को भी शायद प्रेरित कर सके!
35.
मेरे ख़याल में गुज़रा और बोल उठा कि अगर लोहा आग में गरम करके कनखजूरे की पीठपर रखिये तो खूब है, आप-से-आप निकल जायेगा और जो यूँ जम्बूर से खीचियेगा तोभेजे के गूदे को न छोड़ेगा बल्कि और अन्दर धँस जायेगा.
36.
कड़ा पिछाड़ी आखेट पीछे होना बेदम कर देना निकालना पद टकराना पीछे का भाग आंशिक प्रश्न फ़ासला परछाई काटना मूल बेवकूफ़ हाट डग चौथाइ मील खच्चर सम्मान में झुकअना पीठपर लफंगा नितंब नींव पीछा करना पट्ठा पुट्ठे का मांस अंतिम हिस्सा
37.
भगवान नारायणने विशाल कच्छपका रूप धारण किया | वे उस पर्वतको अपनी पीठपर उठाये रहे | साथ ही वे अपने चतुर्भुजरूपसे अकेले ही वासुकिनागका मुख एवं पूँछ पकड़कर उसे मन्दराचलमें लपेटे समुद्र-मन्थन भी करते रहे; क्योंकि देवता और दैत्य समुद्र मथते-
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' ' कहकर चपला चम्पा को पीठपर लाद फौव्वारे के पास ले गयी और चन्द्रकान्ता से बोली, “ तुम फौव्वारे से चुल्लू भर-भर पानी इसके मुँह पर डालो, मैं धोती हूँ! ” चन्द्रकान्ता ने ऐसा ही किया और चपला खूब रगड़-रगड़कर उसका मुँह धोने लगी।
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के लिए बेच दिया“ | मेरा दिल यह सब सुनके दहेल उठा |आगे वह बोल रही थी, ”इस देशमे तथा दुनिया मे ऐसे हज्जारों बच्चे गुलामी व्यापार,गोद लेनेके व्यापार,शरीर अंग बेचनेके व्यापार,ऊंट रेस व्यापार (ऊंट के पीठपर बच्चोंको बंधा जाता है,उनके डर से जोरसे चिल्लाने की आवाज से ऊंट रेस मे तेजीसे भागते हैं) और लैंगिक शोषण व्यापार के लिए बेचे और ख़रीदे जाते हैं | मैं बच्चों और औरोतों पर होते लैगिक शोषण के खिलाफ़ काम करती हूँ”
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चपला ने चन्द्रकान्ता को पुकार कर कहा, “ आओ सखी, अपनी चम्पा का हाल देखो।'' चन्द्रकान्ता ने पास आकर चम्पा को बेहोश पड़ी हुई देख चपला से कहा, ‘‘सखी, कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारा ख्याल धोखा ही निकले और पीछे चम्पा से शरमाना पड़े!'' नहीं, ऐसा न होगा।'' कहकर चपला चम्पा को पीठपर लाद फौव्वारे के पास ले गयी और चन्द्रकान्ता से बोली, ‘‘तुम फौव्वारे से चुल्लू भर-भर पानी इसके मुँह पर डालो, मैं धोती हूँ!” चन्द्रकान्ता ने ऐसा ही किया और चपला खूब रगड़-रगड़कर उसका मुँह धोने लगी।