फिर उस की पिटाई स्थल को पुण्य स्थल मान उस की आत्मा को खुश करने की गरज से वहां भजन कीर्तन शुरू कर दिया गया।
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एक अन्य पुण्य स्थल है जिसे आपको अपनी जम्मू और कश्मीर, भारत के मंदिर यात्राओं के दौरान अवश्य देखना चाहिए, वह है अमरनाथ तीर्थ स्थल।
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नौचंडी देवी के विषय में मान्यता है कि यहां पर देवी सती का उरू भाग गिरा था इसलिए यह शक्तिपीठ के समान ही पुण्य स्थल है।
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जिस पुण्य स्थल में भक्तजनों ने उनकी अर्चना की उस स्थान में वे वहीं अवतरित हुए और ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा के लिए अवस्थित हो गए।
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यह श्री हित हरिवंश जी का पुण्य स्थल है हित जी ने वृन्दाबन आने पर अपने उपास्य श्री राधाबल्लभ जी का प्रथम पाटोत्सव इसी स्थान पर स.
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इसके तट पर न कोई नगर है, न मंदिर, न कोई मठ न ही अन्य कोई पुण्य स्थल जहां साल-दो साल में कोई मेला-कौतुक लगे ।
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आचार्य बृहस्पति (गुरु) से परामर्श किया गया और उन्हें यह दायित्व दिया गया कि वे उस प्रतिमा को कोई अन्य पुण्य स्थल ढूँढ कर वहां स्थानांतरित कर दें. बृहस्पति जी को वायु का साथ मिला.
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जिसके बाद सितंबर 1857 में अमर सेनानी वीर कुंवर सिंह की सेना में सम्मिलित होने के लिए चल पड़े, लेकिन 2 अक्टूबर 1857 को इसी पुण्य स्थल पर मेजर इंग्लिश की सेना के साथ उनकी मुठभेड़ हुई और लगभग 150 स्वतंत्र्ाता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी।
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इस ब्लॉग में पुरे भारत और आस-पास के देशों में हिन्दू धर्म, हिन्दू पर्व त्यौहार, देवी-देवताओं से सम्बंधित धार्मिक पुण्य स्थल व् उनके माहत्म्य, चारोंधाम, 12-ज्योतिर्लिंग, 52-शक्तिपीठ, सप्त नदी, सप्त मुनि, नवरात्र, सावन माह, दुर्गापूजा, दीपावली, होली, एकादशी, रामायण-महाभारत से जुड़े पहलुओं को यहाँ देने का प्रयास कर रहा हूँ..
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पुण्य स्थल पर सन 1269 इसवी से ही इस्लामी आक्रंताओ ने अलग अलग तरीको से योजना पूर्वक हमला करके भोजशाला पर आक्रमणों को तत्कालीन हिन्दू राजाओ ने विफल कर दिया! राजा महालक देव के स्वर्गवास के बाद भोजशाला के कुछ हिस्से को ध्वस्त कर उसमे मस्जिद बनाने का प्रयास किया गया! 1200 प्रकांड विद्वानों की हत्या भोजशाला के यज्ञ कुंण्ड में कर दी गई की गई! राजा मेदनीराय ने वनवासी धर्मयोधाओ को साथ ले कर मुस्लिम अक्रंतोओं को मार भगाया गया!