इस दृष्टिकोण से, आधुनिकतावाद ने वाणिज्य से दर्शन तक अस्तित्व के प्रत्येक पहलू की पुनः परीक्षा को प्रोत्साहित किया, जिसका लक्ष्य यह पता लगाना था कि प्रगति में किस वजह से रूकावट पैदा हो रही थी, और उसी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए इसकी जगह नए तरीकों का इस्तेमाल किया.
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पुनः परीक्षा में भी इस साक्षी ने अपने पूर्व परीक्षा में दिये गये बयानों का समर्थन किया है और यह कहा है कि जब वह गोली व बम की आवाज सुन कर मौके पर पहुंचा तो देखा कि उसका भाई मरा पड़ा था, उसने किसी को गोली व बम से अपने भाई को मारते हुए नहीं देखा।
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पुनः परीक्षा के दौरान उसने यद्यपि इस कथन को सुधार कर लिया हैं तथा यह स्पष्ट कहा हैं कि पूर्व तारीख पर बयान देते वक्त उसकी सुगर 400 से उपर हो गई थी तथा तबीयत खराब थी तथा उसने बयान के दोरान डाक्टर को भी दिखाया तथा इन्जेक्शन भी लगाया था इस कारण भूल से ऐसी बात लिखा दी थी।
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इसकी क्या गारंटी है कि पुनः परीक्षा होने पर धांधली नहीं होगी? यदि इस परीक्षा को रद्द कर देते है तो क्या प्रदेश के साढ़े ग्यारह लाख बी. एड. बेरोजगारों को नौकरी मिल जाएगी या उन्हें बेरोजगारी भत्ता देकर उनके पूरे परिवार का भरण-पोषण किया जा सकेगा? नहीं, उनको भी आत्मसम्मानपूर्वक जीने का अधिकार मिलना चाहिए।