इस श्लोक के पहले वाले श्लोक में अर्जुन, अर्जुन, भवद्भिः (आपलोगों के द्वारा) कहने के बाद पुनः सभीमकिरीटिनाम् पद में पुनः अर्जुन के लिए किरीटि पद का प्रयोग पुनरुक्त दोष है।
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काव्य में जहाँ पर शब्दों का प्रयोग इस प्रकार हो कि वे पर्याय या पुनरुक्त न होने पर भी पर्याय प्रतीत हों पर अर्थ अन्य दें, वहाँ पुनरुक्तवदाभास अलंकार होता है.
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इस श्लोक के पहले वाले श्लोक में अर्जुन, अर्जुन, भवद्भिः (आपलोगों के द्वारा) कहने के बाद पुनः सभीमकिरीटिनाम् पद में पुनः अर्जुन के लिए किरीटि पद का प्रयोग पुनरुक्त दोष है।
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एक झेन फकीर ने अपना पहला प्रवचन दिया, और फिर दूसरे सप्ताह भी उसने वही प्रवचन दिया, और फिर तीसरे सप्ताह भी उसने उसी प्रवचन को पुनरुक्त किया, ज्यों का त्यों दोहरा दिया।
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चार्वाकपंथियों के मतानुसार स्वयं को वेदज्ञ कहने-समझने वाले धूर्त बगुला-भगतों ने आपस में ही वेदों को अनृत (झूठा), व्याघातपूर्ण (परस्पर विरोधी) तथा पुनरुक्त (दुहराव) दोषों से प्रदूषित किया है.
पुनरुक्त प्रकाश में शब्द की अनेक आवृत्तियों से अर्थ और भावना का प्रकाशन विशेष सबलता से होता है, पुनरुक्त वदाभास् में शब्द पर्याय अर्थ न देकर अन्य अर्थ देते हैं जबकि वीप्सा में शब्द की पुनरावृत्ति घृणा या विरक्ति दर्शाती है.
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पुनरुक्त प्रकाश में शब्द की अनेक आवृत्तियों से अर्थ और भावना का प्रकाशन विशेष सबलता से होता है, पुनरुक्त वदाभास् में शब्द पर्याय अर्थ न देकर अन्य अर्थ देते हैं जबकि वीप्सा में शब्द की पुनरावृत्ति घृणा या विरक्ति दर्शाती है.
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इसलिए नहीं कि बार-बार कहने से, उन्हें पुनरुक्त करने, दोहराने से, कुछ दोहराने वाले को मिलने वाला है, वरन इसलिए कि आप इतने बहरे हैं कि एक बार शायद आपके कान पर वह बात पड़कर भी न पड़ पाए।