सागर-डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के फॉर्मेसी विभाग में हर्बल वियाग्रा के बाद शंख पुष्पी का वैज्ञानिक प्रमाणीकरण देश में पहली बार किया गया है।
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“ मधुनाशिनी पुष्पी ” आयुर्वेदिक औषधि को कांच के गिलास में 20 मिलीलीटर पानी में एक चम्मच (लगभग 3 ग्राम) भिगोकर सुबह छानकर खाली पेट पीयें।
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गुम्मा नामक (शेण पुष्पी) पौधे को पहचानते हों तो उसका एक चम्मच चूर्ण मिट्टी के बर्तन में १ ०० मि. ली. पानी डालकर भिगो दें।
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सबसे ज़्यादा माँग कोलियस, सफ़ेद मुसली, आम्बा हल्दी, लाल चंदन, मुलेठी, सर्वगंधा, नीम, जामुन गुठली, सोठ, ब्राम्ही और शंख पुष्पी की है।
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धन्वन्तरीय निघण्टु में अर्क, सूर्याह्वय, पुष्पी, विक्षीर, विकीरण, जम्भल, क्षीरपर्णी, आस्फोट, भास्कर और रवि-ये नाम सामान्य रूप से गिनाये हैं ।
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सोलह मुलिनियों का प्रयोग-शण पुष्पी, विम्बी, हैमवती (वचा), इनका प्रयोग मूल वमन में किया जाता है, श्वेता (सफ़ेद कोयल) और ज्योतिष्मती (मॉलकांगनी) इनका मूल शिरोविरेचन के लिए प्रयोग करना चाहिए.
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इनमें पुष्पी पौधों की अनेक जातियाँ लुप्त हो जाने के कगार पर हैं और कुछ तो कई दशक पूर्व लुप्तप्रायः हो चुकी हैं, अतः पौधों का संरक्षण आवश्यक हो गया है।
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इसके बाद पहले ग्रुप के चूहों को जिनकी स्मरण शक्ति खत्म की गई थी, उन्हें शंख पुष्पी के अर्क से बनाई गई ड्रग एक निश्चित अंतराल के बाद लगातार दी गई।
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धन में वृद्धि करने का टोटका: पुष्य नक्षत्र में शंख पुष्पी की जड़ को चांदी की डिब्बी में भरकर उसे घर की तिजोरी में रख देने से धन की कमी कभी नहीं रहती।
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पुष्पी पादपों मे निषेचन की प्रक्रिया दोनों प्लास्मोगैमी जहाँ शुक्राणु और अंडे के प्रोटोप्लाज़्म का संलयन होता है, या कैरिओगैमी जहाँ शुक्राणु और अंडे के नाभिक का मिलन होता है, के द्वारा हो सकती है।