अत: सम् पूर्ण समाज एवं तंत्र को इसके सिरे से खात् मे का प्रयास करना चाहिये तब जाकर एक सुखी और समृद्ध समाज का निर्माण हो सकेगा।
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इस अवसर पर उन्होंने स्वयं सेवकों को राष्ट्रहित में काम करने, स्वदेशी और समरसता पूर्ण समाज की स्थापना करने और भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाने का संकल्प भी दिलाया।
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अहिंसा, अनेकांत और अरिग्रह का सुगम रास्ता ही सुखमय और शांति पूर्ण समाज के लिए आशा की किरण है और भावी पीढ़ियों के लिए आश्वासन भी हो सकता है ।
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वे किसी एक समाज के न होकर पूर्ण समाज के संबंधित थे, उनकी शिक्षाओं पर सही तरीके से अमल करके हम वर्तमान समाज को बदलने के साथ-साथ नई दिशा दें सकते हैं।
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मैं केवल इन दो बिन् दुओं पर ही चर्चा करना चाह रही हूँ, सम् पूर्ण समाज की रीति यों को सम्मिलित करेंगे तो सारी ही खराब हो जाएंगी या सारी ही अच् छी।
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दुसरी ओर हजारों बंचना, गरीबी के बीच में भी भारत के आदिवासी खेरवाल सहित 85 % दलित गोष्ठी के मनुष्य ने उनके प्राचीन समाजिक विधि मानकर शान्ति पूर्ण समाज जीवन उपभोग करते आ रहे हैं।
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समाजवाद वह सामाजिक व्यवस्था है जिसके अंतर्गत जीवन और समाज के सभी साधनों पर संपूर्ण समाज का स्वामित्व होता है-जिसका उपयोग पूर्ण समाज के कल्याण और विकास की भावना को लक्ष्य करके किया जाता है।
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3-समाजवाद वह सामाजिक व्यवस्था है जिसके अंतर्गत जीवन और समाज के सभी साधनाें पर संपूर्ण समाज का स्वामित्व होता है-जिसका उपयोग पूर्ण समाज के कल्याण और विकास की भावना को लक्ष्य करके किया जाता है।
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2-समाजवाद वह सामाजिक व्यवस्था है जिसके अंतर्गत जीवन और समाज के सभी साधना पर संपूर्ण समाज का स्वामित्व होता है-जिसका उपयोग पूर्ण समाज के कल्याण और विकास की भावना को लक्ष्य करके किया जाता है।
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3. समाजवाद वह सामाजिक व्यवस्था है जिसके अंतर्गत जीवन और समाज के सभी साधनांे पर संपूर्ण समाज का स्वामित्व होता है-जिसका उपयोग पूर्ण समाज के कल्याण और विकास की भावना को लक्ष्य करके किया जाता है।