बिना महत्वपूर्ण कारण के, प्रवेश की इजाज़त नहीं! बात इतनी बढ़ जाती है कि उमा शिव तक को धक्का दे कर तिरस्कार पूर्ण स्वर में उसे Get out of H ere कह देती है!! तलवारें मायनों से बहार निकल आतीं हैं...
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“मैं जानती हूँ क्षिप्रा” ऋचा तटस्थतता पूर्ण स्वर में कहने लगी “वास्तव में आज पल प्रतिपल मीडिया वैश्विक घटनाक्रमों कों, अपने विविध उपग्रहों के माध्यम से, अपनी विचारधारा के अनुरुप तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत करती रहती है......लोगों को जन समुदायों को दिग्भ्रमित करती रहती है....
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जिससे ग्रस्त होने हम वहां पहुंचे थे....... जैसा कि तय था.... और तैयारी थी.... शुरूआत राजीव जी ने अपने साहित्य शिल्पी की पहली वर्षगांठ को समर्पित करते हु ए.... इसके एक साल के सफ़र.... उप्लब्धियों... आगामी योजनाओं..... के बारे में बडे ही ओज पूर्ण स्वर और शानदार शैली में किया... साथ निभाया......